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कथा प्रारम्भ होने के साथ राजपुत्रों ने विष्णुशर्मा से निवेदन किया: गुरुदेव ! हमने विग्रह सुन लिया। हमने सुना है कि राजा लोग परस्पर में सन्धि भी कर लेते है । अतः हमें सन्धि- प्रकरण सुनाएँ। विष्णुशर्मा : सुनो ! मै तुम्हे उन्ही राजहस और मयूर की सन्धि सुनाता हूँ जिनकी लड़ाई तुमने विग्रह में सुनी है।