पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१८३

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( १५२ ) का रूप दे दिया जाता है, इस प्रकार की घटना प्रायः हुआ करती है। 1 S५. हिदू टीकाकार वैराज्य शब्द का ठीक ठीक महत्त्व समझने में असमर्थ रहे हैं और उन्होंने भूल से इसका अर्थ किया है--प्रकाशमान अवस्था । पर यहां इस शब्द का शासन- प्रणाली संबंधी जो अर्थ किया गया है, उसके ठीक होने में जरा भी संदेह नहीं किया जा सकता। ऐतरेय के उसी वाक्यांश मे जो और शब्द आए हैं, उनका भी इसी प्रकार शासन-प्रणाली संबंधो ही अर्थ होता है। यदि इसके लिये किसी और विशेष प्रमाण की आवश्यकता हो, तो हम यही कहेंगे कि पाठक इस संबंध में कौटिल्य का अर्थशास्त्र देखें, जिसने इसे शासन-प्रणाली का एक प्रकार माना है और जिसे इसने खराब या दृषित समझकर तिरस्कृत और अस्वीकृत कर दिया है।। अपने समकालोन यूनानी विचारशीलों की भॉति भाग

  • मिलाओ सभापर्व, अध्याय २८. साथ ही देखा जातक,

५. पृ० ३१६; भाग ६. पृ० १०० जिसमें उस समय तक भी उत्तर कुरु हिमालय में स्थित एक ऐतिहासिक देश माना जाता था। 1 वैराज्यं तु जीवतः परस्याच्छिद्य"नैतन्मम" इति मन्यमानः कर्शय- त्यपवाहयति; पण्यं वा करोति विरक्त वा परित्यज्य अपगच्छतीति । अर्थ- शास्त्र ८.२. पृ० ३२३. श्रीयुक्त शाम शास्त्री का अनुवाद बेहद गड़बड़ है। उन्होंने वैराज्य का अर्थ किया है-"विदेशी शासन, जो किसी देश के राजा की जीवित अवस्था में ही उससे उसका देश छीनकर स्थापित किया जाता है।" पृ० ३६५.