पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५४३

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परिशिष्ट ६ ( अनुवादक द्वारा जोड़ा गया ) कै देव ( जय देव ) की जो इसबी सन् से अर्द्ध शताब्दी पूर्व जीवित थे, जो ब्राह्माण संत के रूप में प्रसिद्ध होने के अतिरिक्त संस्कृतकवि के रूप में भी प्रसिद्ध थे, हिन्दू लेखकों में विशेष उल्लेख होना आवश्यक है ।२ वास्तव में लाल ने, अपने ‘अवध विलास’ की भूमिका में, उन्हें अत्यधिक प्रसिद्ध हिन्दू कवियों की श्रेणी में रखा है और उनकी इसी विशेषता के कारण मैंने उनका यहाँ उल्लेख किया । है, न कि गीत गोबिंदशीर्षक उनके प्रसिद्ध संस्कृत काव्य के कारणजिसके वे रचयिता हैं, किंतु जिस काव्य का अनुवाद और जिसकी टीका हिन्दी में हुई है। उनसे संबंधित भक्तमाल' से अंश इस प्रकार है : ' छपय जयदेव कधि तृप चक्कवे खंड मंडलेश्वर आशानि कत्रि । प्रचुर भयो तिहूं लोक गीत गोबिंद उजागर । कोक काव्य नव रस सरस श्रृंगार को नागर । अष्टपदी अभ्यास करें तिदि बुद्धि बढ़ावे । राधा रखन प्रसन्न सुन तहां निश्चे आवै । . . ज्य का देवता’ २ ‘एशियाटिंक रिसर्च’, जि० १७६० २३८ 4 ३, , के .व राजस्थन, 5ि १०, ० ५४० में जो कुछ कहा है वह भी देखिए।