पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५२२

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परिशिष्ट २ [ ३६७ ब्रिटेननिवासियों का हिन्दी में विवरण ।-इन्दौर , १८५० । प्राथमिक भगोल और इतिहास के हिन्दुई-- कलकत्ता, १८२७ कलकत्ता स्कूल बुक सोसायटी । ‘सावली रठोर' - राठौरों की वंशावली । इस प्रकार का शीशंक एक बड़े वंशपत्र का है जिसे अमझेरा ( Amjherra ) केराजा के कारबार ( प्रधान मंत्री ) सन्तक राम ( Santak Ram ) ने १८२० में मालकमको दिखाया था । में राजपूतों की भाषा या भाखा में जिसे मरहूठे रेंगी (Rangri) भाखा- मध्य भारत के ब्राह्मणों को हिन्दी कहते हैं, लिखा गया यह शपत्र नब्बे फीट लंबा चौर सोल । ह इंच चौड़ा था, दोनों तरफ़ लिखा हुआ था । मालकम ने जो कहते हुए सुना और स्वयं ', देना उसके आधार पर इस ग्रंथ में मध्य भारत में घुस जाने वाली इस जाति के सत्र १शों, और उनके थोड़े से भी पद वाले या ख्याति बाले व्यक्तियों का ठीक-ठीक उल्लेख है । ‘भारत का इतिहास(मार्शमैन कृत ) अशयन्त प्राचीन काल से लेकर मुगल वंश की स्थापना तक’ । रेवरेंड जेo जे० मूर ( Moore ) द्वारा प्रकाशित उसके दों रून्तर हैं—एक उर्दू में और दूसरा हिन्दी में रिपोर्ट माँव दि जनरल कर्मिी व इन्सट्रक्शन फ़ॉर दि ईयर १८३६-१८४०', कल क्रता, १८४१, २ १०५ ; और ‘प्रोसीडिंग्स व दि वनक्यूलर ट्रान्सलेशन सोसायटी’, १८४५, ७० १७ । इन रचगावों के, जिनमें लगभग ३०० ५ल हैं, कई संस्करण हैं, जिनमें से एक कलकरों का है, १८४३ अठपेजी एक दूसरा १८४६ का है , दाल में मेजर कूलर का निशाता हुआ एक दिल्ली और एक लौर का है, १८६५, चौपे ज । उनमें से कुछएक लातीनी अक्षरों में हैं । १ ‘सेंट्रल इंडिया', जि० २, ७० १२८