पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५२०

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रिशिष्ट २ [ ३६५ ‘वेदान्त त्रयी', अर्थात् तवबोध’, ‘आत्म बोध, ‘मोक्षसिद्धिर; हिन्दुस्तानी में टीका सहित, संस्कृत में ।—बनारस१८६८। शिक्षा सार—शिक्षानीति संबंधी विवादहिन्दी में -लाहौर, ‘कोह-इ नूर मुद्रणालय । शीघ्र बोध सटीक’-ज्ञान प्राप्त करने का सरल उपाय, संस्कृत और हिन्दी में -आगरा १८६७७४ पृष्ठ । ‘सामुद्रिक ( सामुद्रिक शास्त्र पर हिन्दी रचना ) ।—लाहौर , १८५१, और कलकत्ता, १८६७, ४७ अठखेजी पृष्ठ । इस रचना में, जिसका उल्लेख पहली जिल्द, २ ४६७, में हो चुका है, सामुद्रिक चिन्हों सहित हाथ का एक चित्र दिया हुआ है । हिन्दुई में, कुछ अधिक महत्वपूर्ण ज्ञानविज्ञानों के हिस्सों के संक्षिप्त विवरण सहित, ज्ञान के लाभों पर पुस्तक '-- कल कत्ता१८३६,३० बारहपेजी पृष्ठ, कलकत्ता स्कूल बुक सोसायटी ! उसके कई संस्करण हैं, जिनमें से एक अपेजी । ४. इतिहास और भूगोल अलीगढ़’ ( जिले का संक्षिप्त भौगोलिक विवरण ) के उर्दू और हिन्दी में 1-१८६५। जे० लगटैलौग, १० ३५। ‘उपदेश प्रसाद मगध बोलियों में, ऐतिहासिक अंशों का संग्रह । टॉड त ‘ऐनल्स चॉघ राजस्थान' । 'काशी खण्ड’ -बनारस जिले का इतिहासहिन्दुई में । -२६१ आठवेजी पृष्ठ । तीन भागों में मह वपूर्ण ग्रन्थ, बिना स्थान और तिथि दिए मुद्रित, किन्तु, मेरा अनुमान है, कलकते से । उस की एक प्रति लन्दन की. रॉयल एशियाटिक सोसायटी के पुस्तकालय में है । कुमारपाल चरित्र' कुमारपाल का इतिहास । . .