पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४८५

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३३० ] हिंदुई साहित्य का इतिहास त्रजभाषा की कविता का संग्रह -के ; पहले में ५४ पृष्ठ, और दूसरे में १२० पृष्ठ हैं । पहले भाग में नंदास कृत ‘नाममंजरी या ‘नाम माला, और ‘अनेकार्थ संजरी, दूसरी ‘नाम माला' - नामों की माला - शीर्षक दो कोष हैं। दूसरे भाग में प्रसिद्ध कधि सुन्दर कृत ‘सुन्दर सिंगार, और स्वयं प्रस्तुत रचयिता की कविताहीरा सिंगार’ - हीरे का सार हैं।' २. 'श्री पिंगल दर्श’ - पिंगल का दर्पण - ब्रज भाखा में, ३४२ अठपेजी पृष्ठ 3 बम्बई१८६५। ३. १८६५ में उन्होंने प्रायः रामायणके रचयिता बाल्मीकि कृत कहे जाने वाले और ‘योग वासिष्ठ' - योग (ईश्वर से योग ) पर बासिध्ठ २ के विचार - शीर्षक दर्शनिक काव्य के हिन्दी आबाद का संपादन किया, लम्बे मोतियो में सचित्र ५६६ पृष्ठ । योग पूर्णतः तसव्वुफ' है, अर्थात मुसलमान सुफियों की पद्धति, अथवा उनका 'मारिफत' -ध्यान। । वे इसमें रम वसिष्ठ विश्वामित्र तथा अन्य मुनियों से वार्तालाप करते हैं, और सांसा रिक जीवन की वास्तविकता परसक्र, भक्तिआदि की अच्छा इयों पर वादविवाद करते हैं। ५ ‘कैटैलग ऑव नेटिव पब्लिकेशन्स इन दि बॉम्बे प्रेसीडेंस' ( बम्बई प्रेसीडेंसी में देशों प्रकाशनों का सूचोपत्र ), १८६३, ३० २२६ २ ऐसा प्रतीत होता है कि इस रचना के अनुवाद भी हैं, जिनमें से एक बत्तीसे भागों का है, जिसका उल्लेख मैकेन्जो कलेक्शन, जि० २, पृष्ठ १०६ में हुआ हूं। 3 इस सिद्धान्त पर, मेरा -la Pogsie philosophique ct religieuse ches les Persans( The Philosophical and religious poetry among Persiars, ईरानियों का दार्शनिक और धार्मिक काय ) शीर्षक मेरा विवरण (Memoir ) देखिए।