पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४६८

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सीतलप्रसाद तिवारी ( पंडित ) [ ३१३ सीतलअसद तिवारी ( पंडित ) बनारस के, ‘Synopsis ef Science' के हिन्दी अनुवाद के रचयिता हैं, जिसका शीर्षक उन्होंने सिद्धान्त संग्रह--संक्षेप में सत्य-रखा है, और जो बनारस के, प्रोफ़ेसर सि-एड्वर्ड हॉल (Fitz dward Hall) के उत्कृष्ट निरीक्षण में प्रकाशित हुई है । १८५५ में आागरे से मुद्रितइस प्रन्थ की पहली जिद में, ७२ पृष्ठों का एक भाग अँगरेज़ी में, तथा ४६ अठपेजी पृष्ठों का, देवनागरी अक्षरों में हिन्दी अनुवाद, है । इस कृति का उद्देश्य भारतीय ज्ञानविज्ञान, विशेषतः 'न्याय’ कहे जाने वाले दर्शन और यूरोपीय ज्ञानविज्ञान का समन्वय उपस्थित करना है। कवि बचन सुधा’ में संस्कृत से हिन्दी में अनूदित नाटकों के अनुवाद में ये पंडि5 बाबू हरि चन्द्र के सहायक रहे हैं। सीता रामदे चिकित्सासंबंधी हिन्दी ग्रंथ, दिल लगनहृदय का प्रेम-के रचयिता हैं, सर्वप्रथम १८६५ में मेरठ से प्रकाशित८६ आठपेजी पृष्ठ, तत्पश्चात् १८६८ में दिल्ली से, ८४ छठपूंजी पृष्ठ । सुंदर या सुंदरदास’ हिंदुई के प्रसिद्ध श्रृंगारी कवि जिन्हें ‘कविराज’ या ‘महाकवि’ की शानदार उपाधि दी गई । उन्हें कवीश्वर, अर्थात् कवियों के सिरताज, भी कहा जाता है। वे शाहजह के शासनकाल में हुए और इसी शहंशा, जिसकी कृपा का उन्होंने संवत् १६८८ ( १६३२ १ भा० ( महान् जैन संत ) सीतल का दिया हुआ? २ भा० राम और उनकी अद्धीगिनी सोता के नामों का योग' ३ भा० सुंदर दास काम ( प्रेम ) का दास । मेरे ‘दद।माँ ऐंदुई’ ( हिन्दुई के प्राथमिक सिद्धान्त ) की भूमिका देखिए। ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।