पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४६७

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३१२ ]। हिंदुई साहित्य का इतिहास संप्रदाय संबंधी उनम अल्पसंख्यक रचनाओं में से है जो भारतवासियों की आधुनिक भाषाओं में रूपान्तरित हुई हैं, क्योंकि जैसा कि सब लोग जानते हैं कि वैज्णय ही थे जिन्होंने हिन्दी में लिखा, जब कि शैवयों ने संस्कृत में रचनाएँ कीं । स्व’य एच० फॉश (Fau- che) ने अपने ‘Tढ़ेtrade’ (पहली जिल्द, ३६३ तथा बाद के पृष्ठ) में उसका फ्रेंच अनुवाद दिया है । उसका एक अनुबाद बेंगला में भाषा जिसके अक्षरों को बंगाल के शैव, हर हालत , पसन्द करते हैं, यहां तक कि हिन्दी को बैंगला अक्षरों में लिखने की हद तक -- प्रकाशित हुआ है । बैंगला अनुवाद का शीर्षक है महिन्न स्तब' । ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले हिन्दू, रेवरेंड के० एम० बैनर्जी द्वारा किया गया इस रचना का एक अँगरेजी अनुवाद भी है । सरोधा प्रसाद ( बाबू ) इल।हाबाद में होने वाले वार्षिक सम्मिलन के गुणदोषों पर पुस्तक ‘माधमेला’ --जनवरीफरवरी के महीने में होने वाला तीर्थयात्रियों का मेला—के रचयिता हैं: इलाहाबाद, १८६, ३२ अठपेजी पृष्ठ । सलीम सिंह कुम्भ राणा के भतीजे, अपने चाचा और चाची मीराबाई की भाँति, हिन्दी के अत्यधिक प्रसिद्ध हिन्दी कवियों में गिने जाते हैं ।' १ 'जर्नल ऑब दि पशियाटिक सोसायटी ऑव बेंगलमें, किन्तु आंशिक रूप में प्रकाशित, १३ अधजी पृष्ठ जे० लौंग‘डस्क्रिप्टिव कैटेलौंग' ( Descript. Catal.), १८६७ । २ भा० दुर्गा’ या ‘सरस्वती' का दिया हुआ 3 , ‘पशियाटिक जर्नल' अक्तूबर १२० १४०, ५० ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।