पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४६३

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३०८ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास introduction to the Sciences' के आधार पर कुछ और बातें जोड़ कर एक ही साथ रखी गई हैं : रुड्को, १८५८२ट अठपेजी पृष्ठ लाहौर, १८६३। १८६१ का उसका एक और पहला संस्करण है, २३-२३ पंक्तियों के ८४ छठपेजी पृष्ठ । २४ , ‘खेत कर्म—खेत के काम, ( उर्दू में ) अनुवाद के अनु- करण पर रचना जिसमें उनका भी भाग है, और जो १८५० में सिकन्दरा से मुद्रित हुई है , ५५ आठपेजी पृष्ठ ११ २५. 'शाला' या ‘साला पद्धति’ - स्कूलों की) कक्षाओं पर पस्तक, “Directions to teachers’ या ‘Teacher'sGuide । या ‘On teaching ', आगरा, १८५२, ४४ बारहपेजी पृष्ठ३; तृतीय संस्करण, १८५६अत्यन्त छोटा चौपेजी। यह रचना 'शरीउत्तालीम' - शिक्षा का मार्ग—का हिन्दी रूपान्तर है ।' २६. धरम सिंह शिवबंसपुर के लंबरदार का वृतान्त’ शिवबंसपुर के लंबरदार धरम सिंह की कथा, हिन्दी में : इलाहा बाद, १८१४ छोटे आठवेजी पृष्ठ । श्रुतगोपालदास ये कबीर के प्रथम शिष्य थे । उनके द्वारा सुख निधान' का संपादन बताया जाता है, रचना जिसका उल्लेख कबीर वाले लेख में हो चुका है । इस पुस्तक में यह महा सुधारक अपने को धर्मदास के प्रति संबोधित करते हुए माना गया है । इस रचना में कबीर के सिद्धान्तों का प्रतिपादन पाया जाता है । स्वर्गीय विद्वान् श्र विल्सन ने ‘एशियाटिक रिसचेंज’ की जिद १६पृष्ठ ७० और '१ तमा पर लेख भी देखिए २ आगरा गवर्नमेंट गजट, पहली जून, १८५५ का अंक 3 चिरंजी लाल पर लेख देखिए & भा० शुतगोपालदास-विष्णु ( वेदों के रक्षक ) का दास’ ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।