पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४६१

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३०६ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास का अनुवाद है - सिविल सिर्विसकी हिन्दी परीक्षाओं के लिए पाठ्य-पुस्तकों में से वह एक है । १३. ‘तस्लीमुल्लुगात ’ - एक विषय से संबंधित तीन प्रकार के कोष, लगभग २०० पृष्ठों की, आगरे से मुद्रित, एक जिल्द में तीन कॉलमों में, उर्दू, हिन्दी और अँगरेजी शब्दोष । यह 5थ पंडितद्वय श्री लाल और बंसीधर, तथा मुंशी चिरंजी लाल की सहायता से एच एस रीड द्वारा लिखा गया है । १४‘समय प्रबोध-पंचांग की पुस्तक पंचांग, समय बिभा जन, संवतों, मासों, ऋतुओं आदि की हिन्दी में व्याख्या 16 यह रचना मिरतु रसात'–सैमय का दर्पण - शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में रूपान्तरित हुई है । १५. बीज गणित' - बीजगणित के प्राथमिक सिद्धान्त, दो भागों मेंसोहन लाल की सहकारिता में संस्कृत से हिन्दी में अनूदित । १६. ‘लीलावती, भास्कराचार्य की इसी शीर्षक की गणित पर संस्कृतरचना का हिन्दी-रूपान्तर। बह १८५१ में सिकन्दरा (आगरा से मुद्रित हुई हैं ।' मेरे पास इस रचना का १८६४ में मेरठ से प्रकाशित एक संस्करण है जिस पर लेखक का नाम नहीं दिया हुआ, १६-१६ पंक्तियों के १४२ बहुत छोटे चौपेजी पृष्ठ । १७. ‘प्रश्न ( Prascharm ) मंजूष।, भारतीय विद्यार्थियों के लिए एक प्रकार की पुस्तक, अर्थात् पाठ्यक्रम में पढ़ी जा चुक़ हिन्दी ५ न पर लेख देखिए २ द्वितीय संस्करण १८५६ में इलाहाबाद से प्रकाशित हुआ है, ८० अत्यन्त छोटे चौ पेजी पृठ । ४ इससे रचना के अन्य रूपान्तरों के संबंध में निर्देश मुहम्मद हुसेन और शिव चन्द्र पर लेखों में देखिए । ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।