पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४५२

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शिवबख्श शक्ल २७ ioघबख्श' शुक्ल, अजीमगढ़ (Azingarh) के पंडितने गौवर्स ऑाँव सोलो मन'सन ऑब दि माउंट’ और सन्त मैथ्यू की धर्म पुस्तक के तेरहवें अध्याय का हिन्दी छन्दों में अनुवाद किया है, ये अ बाद भारतवर्ष में लीथो में छपे हैं। शिवराज? जैपुर के लेखक, जिनकी देन वॉर्ड द्वारा अपने हिन्दुओं के साहित्य के इतिहास, जि० २, पृष्ठ ४८१, में उल्लिखित रल माला! अर्थात् रनों की माला, शीर्षक रचना है । मैं नहीं जानता यदि यह वही है जिसका श्री विल्सन ने अपने कोष के लिए उपयोग किया : यह अंतिम संस्कृत और हिंदुई में, जितनी बनस्पतिसंबंधी उतनी ही खनिजऔषधियों के नामों की सूची है । इसी लेखक की देन शिवसागर ’ ५ अर्थात् शिव का समुद्र है, रचना जिसका उल्लेख भी बॉर्ड ने किया है ।। शुकदेव " डब्ल्यू- वॉर्ड द्वारा अपनी ‘ए व्यू यॉव दि हिस्ट्रीलिचर १ भा० शिश का दिया हुआ? २ क्या यह शब्द, अरव शब्द ‘शनल, अर्थ कैपतो नहीं होना चाहिए ? यदि ज्ञा है, तो यह इस लेखक का तखल्लुस है। 3 सिव राज राजा सिव ४ रत्न माला ५ सिब सागर ६ इन दोनों ग्रंथों का उल्लेख हितोय संरकरण में शिवदास ( राजा ) ' के अंतर्गत हुआ है। इसलिए द्वितोय संस्करण में शिवराज’ का उलस नहीं है।—अनु० ७ भा० , ब्यास के पुत्र का नाम स्वर्गीय चु० एच० विल्सन बलों हस्त