पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४३६

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बाहबी ( मुंशी और बाबू शीब या सिव प्रसाद सिंह ) , [ २८१ पक्षपाती, यद्यपि उन्होंने उर्दू में लिखा है, अत्यधिक लिखने वाले सामयिक हिन्दुस्तानी लेखकों में से हैं, क्योंकि, मेरा विश्वास है, उन्होंने क्या हिन्दी, और क्या उर्दू में, लगभग पचास विविध रचनाएं प्रकाशित की हैं। उन्होंने अंगरेजी में भी लिखा है ।' वे शिमला अखबार --शिमला के समाचार एजहाँ वे शिमला हिल स्टेट्स' के प्रबंधक थे, के पहले संपादक रह चुके हैं, जो बाद को शेन शब्दुल्ला द्वारा संपादित हुआ। यह पत्रजो सप्ताह में दो बार निकलता है व्यापार के हित के लिए खोजों को ताजी क़ीमतें ( 'नरखनामा') देता है। आज कल शीबप्रसाद बनारस में रहते हैं, जह वे शासन- संबंधी कार्य करते हैं, और जहाँऐसा प्रतीत होता है, सरकारी कमिश्नरश्री एच० सी० टुकर (Tucker), ने उन्हें धार्मिक और नैतिक कहानियों या कथाओं का अँगरेजी से उर्दू में अनुवाद करने के काम में लगाया है । उन अधिकांश रचनाओं के संबंध में जिनके बाहची रचयिता या अनुवादक हैं, विचरण इस प्रकार है : १. श्री स्टीवर्ट द्वारा समीक्षा की गई और दिल्ली से १८४५ में प्रकाशित, डॉ० गोल्डस्मिथ कृत रोम के इतिहास (H1story of Rome ) के संक्षिप्त रूप का अनुवाद , आठपेजी ; २. श्री स्टीवर्ट द्वारा ही समीक्षा किया गया, ‘Marshmans Brief Survey of History के द्वितीय भाग का आनुवाद। प्रथम भाग का अनुवाद सरूप नारायण और शीय नारायण ने किया है । ३. भूगोल वृत्तांत’ या ‘वृत्तांत’ -भूगोल की कथाशिमला के १ अन्य के अतिरिक उनकी trictures upom the Strictures, जिसका मैंने अपने १८७० के दिर( Discours, व्याख्यान ) में उल्लेख किया है ।