पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४१७

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२६२ ! हिंदुई साहित्य का इतिहास और जिसकी छपाई देखने में अत्यन्त सुन्दर और बढ़िया कागज पर है किन्तु पहलों की अपेक्षा देखभूल कमू हुई है, क्योंकि उसमें छापे की ऑनेक ग़लतियाँ हैं जो उनमें नहीं मिलतीं । उसका एक लीथो संस्करण भी है जो डब्ल्यू- प्राइस कृत हिन्दी ऐंड हिन्दुस्तानी सेलेक्शन्सके नए संस्करण का एक अंश है और जिसके साथ उसमें प्रयुक्त खड़ीबोली शब्दों की सूची जुड़ी हुई है, एक बंबई का है, १८६२, २८२ पृष्ठों का । सेना के अफसरों की 'हायर स्टैंडर्ड । की परीक्षा के लिए १८६७ में कलकत्ते से उसके कुछ उद्धरण प्रकाशित हुए हैं । प्रेम सागर ' के संस्करणों में, योगध्यान मिश्र द्वारा संपादित, कलकत्ते के, चौपेजीसंस्करणऔर एक दूसरे, तुलसी कृत रामायण के छपे संस्करण में प्रयुक्त हुए के लगभग समान दूति गति से लिखे गए देवनागरी अक्षरों में, बंबई में लीथोग्राफ किए हुएछोटे चौपेजी संस्करण की ओर संकेत करना आावश्यक है । यह संस्करण ( बंबई का—अनु०, जिसकीमेरा विश्वास है, असमय में ही मृश्य द्वारा साहित्य से उठा लिए गएस्वर्गीय चार्ल्स ओनोवा (Charles Olloba y Ochoa ) नामक एक नवयुवक आरतीय विद्याविशारद द्वारा उल्लिखित यूरोप में केवल एक प्रति है, ग्रंथ में विकसित कथाओं से संबंधित लीथोग्र किए गए चित्रों से सुसज्जित है । उसका एक संस्करण रुस्तम जी द्वारा संपादित, पून का, ४८३, है, ए ताला स्घाभी दयाल , फ़ारसी अक्षरों में, लखनऊ से प्रकाशित है, १८६४, १२० चौपेजी पृष्ठ, आदि : कैप्टेन होलिंग्स ( Hollings ) ने उसका पूर्णलगभग शांखुिद क, अनुवाद किया है, जो कलकत्ले से १८४८ में प्रकाशित हुआ है, ११८ और vi ठपेजी पृष्ठ, और श्री एफ़० बी० ईस्टविक ( F. B. Eastwick ) द्वारा एक दूसरा कम शाब्दिक अनुवाद १ कैटेलौग ऑव नेटिव पब्लिकेशन्स इन दि बॉम्बे प्रेसीडेंसी, १८६७, ४० २२६