पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४१५

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२६० ] हिंदुई साहित्य का इतिहास अपेक्षा अधिक प्राचीन है, एक प्रकार से यहूदियों के नियम की भाँति है, जो पशु-बलि द्वारा प्रकटित मानवी प्रायश्चित पर आधा रित भी है, जब कि नष्ट नियम में शांति के लिए केवल ईसा मसीह का ही बलिदान है । कृष्ण और ईसा मसीह के जीवन में जो तुलना प्रस्तुत की गई है , उसके संबंध में यह आपत्ति की जाती है, कि कृष्ण एक ऐतिहासिक व्यक्ति हैं। , जो अत्यधिक ठीक-ठीक गणना के पश्चात् ईसवो सन् से लगभग तेरह सौ वर्ष पूर्व हुए और फलतः जिनका ईसा मसीह के साथ भ्रम नहीं होना चाहिए। वास्तव में वासुदेव के पुत्र और दिल्ली के राजा युधिष्ठिर के फुफेरे भाई कृष्णयही प्रतीत होता है कि, उस समय हुए जिस की ओर मैंने संकेत किया है ; और ऐसा प्रतीत होता है कि पंरपरा ने युगों में भ्रम उत्पन्न कर दिया है, तथा मेरे , समतानुसार इस महापुरुष संबंधी अस्पष्ट भावनाओं को ईसा मसीह पर यूरो पित करने में ऐतिहासिक तथ्यों को विकृत किया जाता है जैसा कि मैं कह चुका हूँ गंगा-यमुना की घाटी में ईसा मसीह ईसवी सन् के प्रारंभ में ही प्रवेश कर चुके थे । बास्तव में ईसवी सन् की सोलह या सत्रहवीं शताब्दी से ही आधुनिक कथाओं सहित कृष्ण-भक्ति भारत में फैली जिसके, अन्य व्यक्तियों के अतिरिक्त, कृष्ण ‘महाभारत’ के कृष्ण की कथा में बिल्कुल अज्ञात हैं । मैं राधा या राधिका का उल्लेख करना चाहता हैं, जो विश्वासी आत्मा की मानवी प्रतीक हैं । १ बेंटले Bentley ) ने, ( कृष्ण के जन्म-संबंधी विवरण ) ‘जन्म पत्रके आधार पर, जिसमें देवता के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति दी गई है, स्वयं गणना की हैं ( उज्जैन की घड़ी निकाल करयूरोपीय तालिया के नाथार पर गणना के अनुसार ) किं जन्म पत्र में ग्रहों की स्थिति केवल ७ अगस्त, ६०० ई० की हो सकती है ।