पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३७३

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२१८ } हिंदुई साहित्य का इतिहास मैंने तो अपना देश छोड़ दिया, अपना सब कुछ स्याग दिया। श्रोह ! मैंने तो राजा और उसका राज्य छोड़ दिया है । मीरा तुम्हारी दासी है, वह तुम्हारी शरण में आई है, वह बिल्कुल तुम्हारी है। दूसरा पद थो मेरे मित्र, क्योंकि तुम मेरे प्रेम को जानते हो, उसे स्वीकार करो । तुम को छोड़ कर मुझे और कुछ पाने की इच्छा नहीं है; मेरी एक यही इच्छा है । दिन में भोजन न करने और रात को नींद न आने के कारण, मेरा शरीर प्रस्येक क्षण दीण होता जाता है । ओो प्य।रे , क्योंकि तुमने मुझे अपनी शरण में थाने की आज्ञा दी है, अब मु न छोड़ो। उल्लिखित मन्दिर में वस्तुतः अब भी मोम की मूर्ति रणछोर की मूर्ति के सामने बनी हुई है, और वहाँ वे देवता के समान ही पूजी जाती हैं । मीरा भाई' ये सिक्खों में प्रचलित हिन्दी भजनों के रचयिता हैं। प्रसिद्ध भारतीय विद्याविशारद, श्री बिसनने हिन्दू संप्रदायों पर अपने विद्वत्तापूर्ण मेम्वायर' ( विवरण ) में उनका उल्लेख किया है । मुकुन्द राम (पंडित ) लाहौर के विज्ञानसंबंधी पत्र‘ज्ञान प्रदायिनी पत्रिका' ज्ञान देने वाली पत्रिका के संपादक हैं, जो मासिक प्रतीत होती १ मूल के बूितीय संस्करण में इनका उल्लेख नहीं है ।-अनु० ३ पशिया ट्रैक रिसचेंज’, जि० १७७० २३३