पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३६७

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२१२ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास मीरा या मीरां वाई' भगतनी ( हिन्दू बी-सन्त ), मेड़ता के महाराणा या सहाराजा की पुत्रीविष्णु की पंरसोपासिका थीं, जिन्होंने अतीत प्राप्त करने के लिए राजपाट छोड़ दिया । कुछ के अनुसार, उनका विवाह मेवाड़ या उदयपुर के राणाजिनका १४६६ में अपने पुत्र ऊदो द्वारा वध हुआ, के साथ विवाह हुआ था, और कुछ वसरों के अनुसार उसी देश के राणालक्ष या लखा (Laxa 6u Lakha) के साथजिस परिस्थिति में वे चौदहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में जीवित थीं, क्योंकि राणा ने १३७२ से १३६७ तक राज्य किया ।’ उधर दूसरी ओर यदि, जैसा कि टॉड ने कहा है, सीरा हुमायूं के विपक्षीविक्रमाजीत की माँ थीं, तो वे सोलहवीं शताब्दी के प्रारंभ में जीवित थीं । अंत में भक्तमाल हमें बताता है कि वे अकबर की समकालीन थीं, क्योंकि यह बादशाह्न, जिसने १५५६ से १६०५ तक राज्य किया, अपने समर्थ के प्रसिद्ध गवैयेंमियाँ तानसेनके साथ उनके दर्शन करने गया था। निस्संदेह इन चारों क्रथनों में से एक में कोई गलती है । मीरा बाई ने हिन्दू स्त्री-संत और कवियित्री के रूप में आयधिक ख्याति प्राप्त की है । बी-संत के रूप में, वे उन्हीं का नाम धारण करने वाले मीरा बाइयों के संप्रदाय की संरक्षिका हैं: ५ शब्द 'वाई' का अर्थ हें रू,और प्राय: नियों के नामों के साथ लगाया जाता है। २ टॉ, "एनएल व राजस्थान', पहली जिदपु० २६० 3 , ‘टू बल्स', ४० ४३५ ४ प्रिन्सेपयूसफुल टेबिल्स’ ५ एच० ए० बल्तन ने इस संप्रदाय का ‘मेन्वायर ऑन दि रिलीजस सैक्ट्स श्रव दि हिन्दू, ‘शियाटिक रिसर्दी', जि० १६, ०. १६, और जि० १७ ० २३३, में उल्लेख किया है, और उन्होंने मीरा के उन दो पदों का अनुवाद किया है जिन्हें मैंने आगे उद्धृत किया है ।