पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३६५

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२१० ! हिंदुई साहित्य का इतिहास सिंह के राजयकाल में लिखित । ये अंतिम दो रचनाएँ, यद्यपि 'राज विलास’ भी, जिन नरेशों के राजकाल में लिखी गई थीं। उन नरेशों की सैनिक विजयों का वर्णन करने से पूर्वमेवाड़ राज की बंशावली से प्रारंभ होती हैं। ३. ‘खुमान' रास—मेघाड़ के नरेशों के बीरवत्य, यह रचना अकबर के राजबकाल में संशोधित की गई प्रतीत होती है, किन्तु यह लिखी गई प्राचीन प्रमाण के आधार पर ही है जो नवीं शताब्दी तक के हैं। उसमें नरेश की लंबी बंशावली से संबंधित अत्यधिक महत्वपूर्ण बातविशेषतः मुसलमानी आक्रमण कालतेरहवीं शताब्दी में अलाउद्दीन द्वारा चित्तौड़ की लूटऔर अंत में राणा प्रताप और अकबर के युद्धसहित राम त मेवाड़ के सम्राटों की वंशावली दी गई है । टॉड ने १६७७ से १७३४ ई० नक मध्य भारत में होने वाली घटनाओं के संबंध में, और राज रूपक आखियात २ (akhiyat) शीर्षक एक चौथी रचना का उल्लेख किया है; अंत में एक पाँच का जिसका शीर्षक केवल स्खियात’-प्रसिद्ध है, और जो एक जीवनीग्रंथ है । १ टॉड, जिनसे हमें ये सूचनाएं प्राप्त हुई , के अनुसार, ‘खुमान’ राद मेवाड़ , के नरेशों की प्राचीन उपाधि है जिसका अब तक प्रयोग । होता है । यह उपाषि, मेवाड़ राज्य के संस्थापक, बापा, जो बाद को Transoxiane चले गए जहाँ वे प्राचन सिथियनों के कुमानो' ( Kormani ) नामक देश में हो मृत्यु को प्राप्त हुए, के पुत्र को दी गई थी। ३ वेंॉड ने लिखा है ‘एज स्पक प्रख्यात' ( Raj Roopak aheat ) और अनुवाद किया है ‘Royal relationships; किन्तु शीर्षक से में जो समझ पाया हूँ उसका अर्थ प्रतोत होता है ‘वद् जो राजकीय घटनाओं में अप्रकट है'।