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भूमिका

कि मुझे संग्रह बहुत अच्छे मिले, और सहायता अत्यन्त उदार मिली। हिन्दुस्तानी के हस्तलिखित ग्रन्थों का जो सबसे अच्छा संग्रह मुझे मिल सका, वह ईस्ट इंडिया हाउस के पुस्तकालय का है, और इस पुस्तकालय में विशेषतः लीडन (Leyden) संग्रह इस प्रकार का सर्वोत्तम संग्रह है। डॉ॰ लीडन फ़ोर्ट विलियम कॉलेज में हिन्दुस्तानी के परीक्षक थे[१]; उन्होंने इस भाषा का काफ़ी अध्ययन किया था। वास्तव में जो हिन्दुस्तानी की जिल्दें उन्होंने तैयार की हैं उसमें इतने अन्य अनेक प्राच्यविद्याविशारदों ने सहयोग प्रदान किया है, कि साहित्यिक जनता को देने के लिए उन्होंने मुझे जितने की आज्ञा प्रदान की थी उससे भी अधिक विवरण मैं प्रस्तुत कर सकता हूँ।

उन ग्रन्थकारों के लिए जिनके बारे में मुझे ज्ञात नहीं था, और अन्य के संबंध में कुछ विस्तार दे सकने के लिए, मुझे सामान्यतः जीवनियों और मूल संग्रहों का आश्रय लेना पड़ा है। इस प्रकार ग्रन्थ जो मुझे प्राप्त हो सके, या जिन्हें कम-से-कम मैं देख सका, निम्नलिखित हैं :

१. 'निकात् उस्‌शौअरा', अथवा कवियों के सुन्दर शब्द, मीर कृत, फ़ारसी में लिखित हिन्दी जीवनी;

२. 'तज़्‌किरा-इ शौअरा-इ हिन्दी', अथवा हिन्दी कवियों का विवरण, मुसहफ़ी (Mushafi) कृत, फ़ारसी में ही लिखित;

३. 'तज़्‌किरा-इ शौअरा-इ हिन्दी', अथवा हिन्दी कवियों का विवरण, फ़तह अली हुसेनी कृत, फ़ारसी में ही;

४. 'गुलज़ार-इ इब्राहीम' (वही), नवाब अली इब्राहीम ख़ाँ कृत ;

५. 'गुलशन-इ हिन्द', अथवा भारत का बाग़, लतीफ़ कृत, हिन्दुस्तानी में लिखित हिन्दी जीवनी;


  1. ये वही विद्वान् हैं जिन्होंने डब्ल्यू॰ अर्सकिन (Erskine) द्वारा पूर्ण और शुद्ध किए गए और एडिनबरा से, १८२६ में प्रकाशित मुग़ल सुलतान बाबर के संस्मरणों का अनुवाद किया है, चौपेजा।