पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३५५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२०० ! हिंदुई साहित्य का इतिहास मडन? ‘जनकपच पचीसी’—जनक पर पचीस अंद, अथवा जनक की पुत्री, सोता का राम के साथ विवाह पर छंदों, के रचयिता हैं। १६ प्रष्ठों की छोटी हिन्दी कविता, मैनपुरी में मुद्रित । मगन लाल ( पंडित ) इलाहाबाद के, चिकित्सक, ने डॉ० बॉकर (walker ) के साथ लिखी हैं। : १ 'गोथन शीतला के टीका देने का बयान -टीके की व्याख्या, उर्दू में ३० आठपेज़ी पृष्ठ, और यही रचना गोथन शीतला के टीका देने का बनके उसी शीर्षक के अंतर्गत हिन्दी में है; आगरा१८५३२६. बड़े अठपेजी पृष्ठ ; २. मुतदी की पहली किताब,शुरू करने वाले के लिए पहली पुस्तक के इलाहाबाद, १८६१, ५० चौपेजी पृष्ठ ; ३. 'फ़र्रुखाबाद और बद्रीनाथ की कहानी’ - इलाहाबाद, १८५०, ३’ अठपेजी पृष्ठ के ४. पुराणों और शास्त्रों के आधार पर, वार्तालाप रूप में, वण व्यवस्था के पक्ष में मगन की एक रचना उर्दू में है जिसका शीर्षक है। ‘काशिफ़ दकायक मजहब-इ हिन्द (K aschif dacaic Mazhat j Hind ) -भारतीय धर्म की विशेषताएँ प्रदर्शित करने वाला ; लखनऊ१८६१, २६ अठपेजी पष्ठ । मणि देव गोपीनाथ के शिष्य, गोकुलनाथ के पुत्र, ने ‘महाभारत दर्पण १ भा० ‘आभूषण’ २ भा० 'बुश’ 3 भा० ‘मोती, रत्ल'