पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३२९

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१७४ ! हिंदुई साहित्य का इतिहास बलवन्द ' डोम या डोमड़ा और शांतनी’, कुछ धार्मिक कविताओं के रचयिता हैं जिन्हें वे गुरु अर्जुन के सामने गाते थे और जो ‘आदि। प्रन्थ’ के चौंथे खण्ड का भाग हैं। बलिराम’ चित विलास’ ४ के लेखक 1 यह सृष्टि की उत्पत्ति पर एक रचना है जिसमें मानव जीवन के उद्देश्यों और उसके अंत, स्थूल और क्षीण शरीरों के निर्माण और निर्वाणप्राप्ति के साधनों के उल्लेख किया गया है ।" बशीशरनाथ ( पंडित ) बुन्देलखंड में रतलाम के हिन्दीउर्दू साप्ताहिक पत्र के संपादक हैं, जिसका प्रकाशित होना मई१८६८ से प्रारम्भ हुआ और जिसका शीर्षक है 'रतन प्रकाश’ रत्नों का प्रकाश । प्रत्येक अंक में हिन्दी अनुवाद सहिंत उर्दू में चार पृष्ठ रहते हैं । मेरठ के ‘अखबारह आलमने गंभीरता और स्वरूप की दृष्टि से उसके संपादन की प्रशंसा की है । १ भा० ‘शक्तिमान, दृढ़’ २ इन भारतोय शब्दों का अर्थ है 'संगीत’, अथवा संभवतः वे उन व्यक्तियों की आर संकेत करते हैं जो उन मुसलमान गवैयों में, जिनकों लियाँ नाचती हैं, परिगणित किए जाते हैं । ३ मेरे विचार से 'बलिराम और कृष्ण के बड़े भाई का नाम 'बलरामएक हो शब्द हैं । ४ अर्थात् आत्मा की क्रीड़ा के शब्दों में चित’ =मन, 'बुद्धि’ और विलास= आनन्द, जोड़ा’ ५ मैक०जि० २, ७० १०८ ( 'मैःनजो कलेक्शन' )