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१५८ ! हिंदुई साहित्य का इतिहास कबीर गोपाल भट्ट प्रेमकश्वर दास 'भागवत के द्वादश स्कंध के एक हिंदुई अनुवाद के रचयिता, रचना जिसकी एक प्रति ईस्ट इंडिया हाउस के पुस्तकालय में है।' प्रेमा ’ भाई या वाई मेरे ख्याल से जिन्हें प्रेमी' भी कहते हैं, एक कवियित्री हैं। जिनका उत्कर्ष शक संवत् १६०० ( १६७८ ) में हुआ । उनके स्थान, जाति, कुडूब के बारे में ज्ञात नहीं है । उनकी रचनाएँ हैं : १. ‘भक्त लीलामृत’-भक्तों की लीलाओं का अमृत;३ २. गंगा स्नान ' ; ३. श्री गोपाल ( कृष्ख ) की ‘; ४, ‘भागवत भक्णु भगवान् की स्तुति ; ५ , ‘ध्रुव लीला’-व की लीलाएँ ।" फलवेल ( Phatyaa-Vfla )” वाड द्वारा हिन्दुओं के इतिहास, पौराणिक कथाओं और साहित्य पर अपने प्रन्थ, जि०२, ४० ४८१ में उल्लिखित एक गीता के रचयिताजयपुर के लेखक हैं। देखिर ' पति' पर लेख जिसमें इसी ग्रंथ के दो अन्य हिन्दी अनुवादों का उल्लेख है । । २ मा० ‘म’ का संस्कृत रूप ३ हिन्द के अनेक ग्रन्यों का यहो शर्षक रहता है । ४ दिल्ली, १८६८, ८ अठ जो पृष्ठ • या Phatyola vxto , बैंगला उच्चारण के अनुसार ।