पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२९१

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१३६1 हिंदुई साहित्य का इतिहास उंगली श्र नी ठोड़ी पर रखलो, औौर आग जलाने को आशा दी। इसी बीच भगवान ने उन्हें टर्शन दिएतथा तमाम गाँववाले बहाँ जाए औौर नम देव में उनका विश्वास बढ़ गया। नायक वशी शाहजहाँ द्वारा संकलित हिन्दी गीतों ( कविता-अनु० ) के संग्रह 'सहस्र रस’ के संपादक ( फ़ारसी में भूमिका सहित )। इस संग्रह की एक हस्तलिखित प्रति ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के किंग्स कॉलेज के पुस्तकालय में है । नाराय-दास हिन्दी लेखक जो शाहजहाँ के राजत्व काल में रहते थे । ये ही थे जिन्होंने संशोधनों और परिवर्द्धनों द्वारा नाभा जी की भक्तमाल' शीर्षक प्रसिद्ध रचना को, जिसका कुछ पहले उल्लेख किया जा चुका है और किया जायगा,” वास्तविक रूप दिया ।” नव गजा एक ब्राह्मण हैं जिनका आविर्भाव १६०० शक संवत् (१६७८) १ भा० फ़ा० वेतन देने वाला अफसर २ ई० ए० पामर (E. H. Palmer) कृत इस पुस्तकालय के प्राच्य हस्तलिखित ग्रंथों का मुनापत्र देखिए। ‘जन व रॉयल एशियाटिक सोसायटी, जि० ३, भाग १, नई सीरी । 3 नारायन दासनारायण ( बिंध्यु ) का दान ४ नाभाजो, श्रियदास आदि पर लेखों में । ५ 'शियाटिक रिसर्बज, जि० १६, ७० ८ ६ माe Linnje के melia azadirachta ( azad-dirakhtआजाद दरख्त ) का नाम