पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२८०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

नानक 1 १२५ पोथी में १७२ आठपेजी आयताकार पृष्ठ हैं।' इसी शीर्षक की एक रचना फ़रजाद ( Farzida ) की पुस्तकों में दिखाई गई है । मुहम्मद बख्श की पुस्तकों के हस्तलिखित सूचीपत्र में सिक्ख धर्म पर, हिन्दी में लिखी हुई, और सिखाँ ग्रंथ’ अर्थात् सिक्ख की पुस्तक, शीर्षक रचना पाई जाती है । संक्षेप में, ऐसे अनेक ग्रंथ हैं जिनमें नानक पंथ के धार्मिक पद्य और भजन मिलते हैं, इनमें से, उदाहरण के लिए एक वह है जिसकी एक प्रति ईस्ट इंडिया हाउस में सुरक्षित है, और जिसका शीर्षक है 'आशार व जवान -. भाखा बर दीन-इ नानक शाही’ ( नानक शाह के धर्म पर भाखा में कविताएँ ), और एक दूसरे का शीर्षक है : 'दीवान द्वर जबान इ भाखा, याने पोथी गुरू नानक शाह’ (भार जवान में दीवान अर्थात् गुरू नानक शाह की पोथी )। नानक का जन्म लाहौर प्रदेश के तलबिंडी ( Talbindi ) भामक गाँव में १४६६ में हुआ था, कुछ और लोगों का कहना है कि उनका जन्म शहंशाह बाबर के राजत्वकाल में आर्थात् १५०५ से १५३० तक के बीच में हुआ । युवावस्था में ही भक्ति र तप वाले जीवन के लिए उन्हें संसार से विरक्ति हुई । एकान्तवास धारण करते हुए ही उ होंने एक नवीन धार्मिक व्यवस्था का निर्माण किया और उन्होंने प्रंथ नामवाचक शब्द से झात रचना का सृजन किया। नब्बे वर्ष की अवस्था में नानक की मृत्यु १ मेरे खास संग्रह में अब भी, फारसी , पथ और , में एक हिन्दी ग्रंथ' है। २ ' दिखाँ प्रन्थ ' ( फ़ारसॉ लिपि से ) वे स्वर्गीय एच० एच० विलसन ने मुझे बताया था कि 'ग्रन्थ' का तात्पर्थ सामान्य सभी नानक पंथी धार्मिक रचनाओं के संग्रह से है, उसमें सूरदास को कविता, तुलसीदास का 'रामायण, संक्षेप में प्रधान हिन्दुई गीत । यह वाइक्लि (विबलिया, Biblia ) शब्द की तरह है जो यहूदियों और ईसाइयों की दैवो पुस्तकों के संयुक्त रूप का द्योतक है।