पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२७४

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नरहरिदास [ ११६ और १८६६ में पंजाब में प्रकाशित पुस्तकों के सूचीपत्र में दर्शन मूल धर्म ( atural Religion ) और समाचारों आदि के तथा ज्ञान प्रदायिनी पत्रिका’ -ज्ञान देने वाली पत्रिका का अधिक पूर्ण शीर्षक धारण किए हुए एक सासिक पत्र के प्रथम अंक का उल्लेख हुआ है, १६ अठपेजी पृष्ठ, और इन्हीं बा० नवीन चंद्र राय द्वारा लिखित । इस अंक में चुनी हुई वेद की स्तुतियाँ, ईश्वरवाद पर प्रश्नोत्तरीप्रार्थनाएँ आदि हैं । क्या ये वही लेखक तो नहीं हैं, जिन्होंने बाबू नबीन चन्द्र बनर्जी नाम से, १८६५ में लाहौर से एक सरकारी अखबार सरकार के समाचार--शीर्षक उर्दू पत्र प्रकाशित किया ? नरहरिदास' १८६२ में १६ पन्नों की बंबई स लीथोग्राफ की गई हिन्दी रचना, ‘ज्ञान उपदेश' के रचयिता । नरायन " ( पंडित ) कलकत्ते की एशियाटिक सोसायटी के पुस्तकालय के संस्कृत ग्रंथों के सूचीपत्र के अनुसार, हितोपदेश' के हिन्दी में रूपान्तरकार हैं जिसकी एक प्रति सोसायटी के पुस्तकालय में है ।’ यह तो ज्ञात ही है कि हितोपदेश' का संस्कृत मूल‘ताल्मुद(1elenmaque) की भाँति, पाटलिपुत्र ( Palibothra ) के एक राजा के पुत्र की। नैतिक शिक्षा के लिए लिखा गया था। उसी सूचीपत्र के अनुसार पंडित नरायन ने ही ‘राजनीति’ का - १ भा० ‘विष्णु के चौथे अवतार के दास’ २ ३० अप्रैल१८६६ का 'खूनरेकॉर्ड’ (Tribers Record) ३ विष्णु के नामों में से एक ४ हिन्दी में एक हितोपदेश' आगरे से प्रकाशित हुआ हैं, पहली जून१८५५ का ‘आगरा गवर्नमेंट गजट, मैं नहीं जानता कि यह स्पान्तर बही है।