पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२६०

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

तेग बहादुर। [ १०९ विनय पत्रिका’—निर्देश की पत्रिका-मुद्रित हो चुकी है!मेरे पास उसका एक संस्करण कलकते,१८६१ (१८१३ ) का है : उसमें १२० अठखेजी पृष्ठ हैं। मेरे पास एक दूसरा १८६४ का है, १०० बड़े अठपेजी पृष्ठ ।

उसका एक संस्करण शिवप्रकाश सिंह की टीका सहित हैैं;बनारस१८६४,३८० चौपेजी पृष्ठ ।
               तेग बहादुर

सिक्खों के नवें गुरु हैं। उनकी हिन्दी में लिखित कुछ धार्मिक कविताएँ हैं,जो ‘आदि ग्रंथ के चौथे भाग में हैं।

        तोरल मल (Toral Mal)

ब्रज-भाखा में लिखित 'भागवत’ के रचयिता हैं,जिसकी नस्तालीक अक्षरों में लिखी एक हस्तलिखित प्रति, मुझे ट्रिनिटी कॉलेज के फेलो,श्री० ई० एच० पासर (Palmer) से जो मालूम हुआ है उसके अनुसार,केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के पुस्तकालय में है।

                त्रिलोचन

.. एक ब्राह्मण सन्त,हिन्दी में लिखित धार्मिक गीतों के रचयिता हैं और जो ‘आदि ग्रन्थ’ के चौथे भाग में मिलते हैं।

             दरिया-दास

एक मुसलमान दर्जी थे जिन्होंने एक नए आकाश-पंथ की

१.फा० ‘तलवार
२.भा० कड़ा जो कलाई पर पहिना जाता है ।
३.भा० शिव का एक नामअर्थ है तोन आंखों वाला'
४.फ़ा० म० (सब से बढ़ो)नदी का दास, अर्थात,मेरे विचार से, गंगा का"