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हिंदुई साहित्य का इतिहास

३. 'प्रह्लाद चरित्र' - प्रह्लाद की कथा;

४. 'पत्रिका अभंग' - पत्ररूप अभंग।

तुलसी-दास

हिन्दुई के एक अत्यन्त प्रसिद्ध लेखक, तुलसी या तुलसी-दास[१] का 'भक्तमाल' में अपनी स्त्री, जिसे वे अत्यधिक प्यार करते थे, के द्वारा राम के प्रति विशेष भक्ति की ओर प्रेरित होना लिखा है। उन्होंने एक भ्रमणशील जीवन ग्रहण किया; वे बनारस गए, उसके बाद वे चित्रकूट गए, जहाँ उनका हनुमान से व्यक्तिगत साक्षात् हुआ, जिनसे उन्होंने काव्य-प्रेरणा और चमत्कार दिखाने की शक्ति प्राप्त की। उनकी ख्याति दिल्ली तक पहुँची जहाँ शाहजहाँ राज्य करता था। सम्राट ने उन्हें बुला भेजा; किन्तु उनके धार्मिक सिद्धांतों से संतुष्ट न हो उसने उन्हें बन्दी बना लिया। तत्पश्चात् वहाँ हजारों बानर इकट्ठे हो गए और उन्होंने बन्दीगृह को नष्ट करना प्रारंभ किया। शाहजहाँ ने, आश्चर्यचकित हो उन्हें तुरंत मुक्त कर दिया और साथ ही अनुचित व्यवहार करने के बदले में कुछ माँग लेने के लिए उनसे कहा। तब तुलसी-दास ने पुरानी दिल्ली जो राम का निवास हो गई थी छोड़ देने के लिए शाहजहाँ से प्रार्थना की, जो सम्राट ने किया; और उसने एक नया नगर बसाया जिसका नाम उसने शाहजहाँनाबाद या शाहजहाँ का नगर रखा। उसके बाद तुलसी-दास वृंदावन गए, जहाँ उनका नाभाजी[२] से साक्षात्कार


  1. तुलसी दास, तुल् सी या तुलसी (Ocymum Sanctum) का दास। यह तुलसी जातीय पौधा हिन्दुओं के घरों में अत्यन्त पूज्य माना जाता है। उनका विश्वास है कि तुल्सी एक अप्सरा थी जिसे कृष्ण प्यार करते थे और जिसे उन्होंने इस पौधे में रूपान्तरित कर दिया। यह ज्ञात हो जाता है कि ओविड (Ovide) के प्रसिद्ध देवों के रूपान्तरित होने की उत्पत्ति न तो रोमन और न ग्रीक ही है।
  2. इस लेखक के संबंध में लेख देखिए।