पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१८१

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२६? हिंदुई साहित्य का इतिहास है. वसन्त', इसी नाम के राग में लिखे गए सौ भजन ; १० होली, भारतीय उत्सव के गान' 'होली’ या ‘होरीनाम से दो पद के सौ ११. ‘रेखतः, सौ गीति-कविताएँ । इन तथा निम्नलिखित कविताओं का विषय सदैव नैतिक तथा धार्मिक रहता है ; १२. ‘भूतना, एक भिन्न शैली में पाँच सौ गीतिकविताएँ ; १३ ‘कहार( Kahara ) एक दूसरी शैली में पाँच सौ , गीतिकविनाएँ ; १४, हिंडोल, बारह दूसरी गें ति-कविताएँसंगीत शैली की भी कही जाती हैं ; १५ ‘बारहमासा, बारह महीने, एक धार्मिक दृष्टिकोण के अंतर्गतकबीर की प्रणाली के अनुसार ; १६. ‘चाँचर, बाईस की संख्या में ; १. ‘चौतीसा', संख्या में दो । इन अंशों में अपने धार्मिक महत्व के साथ नागरी वर्णमाला के चौंतीस अक्षरों का प्रति पादन ? है। १८, 'अलिफनामा', उसी तरह से प्रतिपादित फारसी व माना क्योंकि सिक्ख-पाठ प्रायः फ़ारसी अक्षरों में लिखे जाते हैं : १६ ‘रमैनी, सिद्धान्त तथा वादविवादसंबन्धी छोटी कविताएं । ‘कबीरदासकृत रमैनी' शीर्षक के अंतर्गत उसका ३६७ । पृष्ठों का एक संस्करण १८१८ में बनारस से प्रकाशित हुआ है : २०, 'साक्षी'संख्या में पाँच हजार । इनमें से हरएक का एक छंद है जिसकी रचना केवल दो पंक्तियों में हुई है । ‘कवि वचन सुधा, अंक १० के दो पृष्ठों में साथियों के उद्धरण पाए जाते हैं ! १ उमर पर लिखित लेख में इस प्रकार के एक गत का अनुवाद देखिए!