पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१६३

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हिंदुई साहित्य का इतिहास (२८) कौड़ा ( Kaura) (२६ ) कल्यान ( ३० ) प्रभाती । (३१) जै जैवंती । पूॉक्त नामों वाले अंशों के एक भाग के गुरु रचयिताओं के नाम इस समय ये हैं : ( १ ) नानक (२ ) अंगद (३ ) अम्मरदास (४ ) रामदास (५ ) अर्जुन ( ६ ) तेगबहादुर ( ७) गोबिंदकिन्तु केवल संशोधनों के लिए । वैष्णव, भगत या अन्य व्यक्ति जिनकी रचनाएँ प्रन्थ’ में हैं, निम्नलिखित हैं : (१ ) कबीर (२) त्रिलोचन ( ३) बेनी ( Bchri ) ४ ) रावदास या रैदास (५ ) नामदेव ( ६) धन्ना ७) शेख़ फ़रीद (८ जयदेव (8 ) भीकन ( १० ) सेन ( ११ ) पीपा ( १२ ) सदना ( १३ ) रामानंद ( १४) परमानंद ( १५ ) सूरदास ( १६ ) मीरा बाई ( १७ ) Balwand १८ ) सत्त ( Sutta ) बलवन्त ( ) ( ( १६ ) सुन्दरदास । ५, ‘भोग-आनन्द । यह ‘आदि ग्रंथका पूरक भाग है । उसमें नानक और अर्जुन ( जिनकी कुछ संस्कृत में हैं, और अर्जुन की एक कविता अमृतसर नगर की बोली में है ), कबीर, शेख़ फ़रीदतथा अन्य सुधारकों की, और उनके अतिरिक्त नौ भाटों या वैष्णव कवियों की, जिन्होंने नवीन सिद्वान्त प्रहण कर लिए थे, कुछ कविताएँ हैं। वे ( नौ ) हैं : ( १) भीखा, अम्मरदास के शिष्य (२) कल्लत (Kall), राम दास के शिष्य (३) कल लुहार (Sahar) (!) Jalup अर्जुनून के शिष्य ( ५) सल्ल ( Sall ), अर्जुन दूसरे शिष्य जलप (, के ( ई ) न (Nall) (७ ) मथुरा ( ८) बल्स (Ball) ( 8 ) कीरित ।