पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१३७

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११० 1 हिंदुई साहित्य का इतिहास उर्दू कवियों में हैं हातिम, जिनका उल्लेख में कर हो चुका , ‘श्राज़ाद ( फ़कीरुल्लाह ), जो, यपि हैदराबाद के निवासी थे, दिल्ली में रहते थे और जहाँ उन्होंने अपनी कविता के कारण ख्याति प्राप्त की ; जीवाँ (मुहम्म), अनेक धार्मिक ग्रन्थों के रचयिता, आदि। दक्विानी कवियों में हैं : वली, जिनका दूसरा नाम 'भाशा-इ रेता रेल" कविता के जनक—है : शाइ गुलशन, नके उस्ताद के आदमद, गुजरात के ; तानाशाह । के शाही, बगनगर के, और मिर्जा अबुलकासिम, इस शहज़ादे के कर्मचारी के आवरों या [ इन निशाती, 'फू न घन’ के रच- थिता : गोवास या गोवासी, तूती कहानी से संबंधित एक कविता के रच पिता के किक (Mahacquic, दखिन के अत्यधिक प्रचोन कवियों में से एक जिन्होंने ऐसी रेढ़ता में लिखा जो हिंन्दुस्तान की रेखता से बहुत मिलती है ; रसमी, ‘नाविर नामा' के रचयिता, अज: (प इम्मद ), -तथा अन्य अनेक है। अटारहवीं शताब्दी के उन हिन्दुस्तानी कवियों का उल्लेख करने से बहुत विस्तार हो जायगा जिन्होंने अपने सामयिों में नाम कमाया। मेरे लिए हिन्दी के लेखकों में इनका उल्लेख करना यथेष्ट हैं: गंगा पति, हिन्दुओं के विभिन्न दार्शनिक सिद्धांतों से संबंधित एक प्रबंध के रiयतt के बीरभान, साथया ‘पवित्र' नामक प्रसिद्ध संप्रदाय के संस्थापक श्रौर उच्चकोटि - की धार्मिक्ष कविताओं के रचयिता के रामचरण, अपना नाम लगे हुए एक संप्रदाय के संस्थापक और पवित्र भजनों के रचयिता के शिव नारायणएक और संप्रदtयसंस्थापक, हिन्दी छन्दों में ग्यारह ग्रन्थों के र के पिता, जो ‘श्री गणेशायनमा के रूप में गणेश की स्तुति से प्रारंभ होने के स्थान पर इन शब्दों से प्रारंभ होते हैं : ‘सन्त सरन -सन्तों की शरण । उर्दू कवियों में मैं अपने को सैदा,* मोर और हसन -पिछली १ विशेष रूप से सौदा को हिन्दुस्तानी काव्य का बादशाह, अलि उश्शु' अरण रेखता’, भी कहा जाता है ।