पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/७२

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१३ . हिन्दी साहित्यकी भूमिका अनुकरणपर और भी बहुतसे भक्तमाळ लिखे गये । २ ब्राह्म सम्प्रदाय--ब्राझ सम्प्रदायके प्रवर्तक मध्वाचार्य पहले शैव थे. बादमें वैष्णव हो गये। इस सम्प्रदायसे हिन्दी साहित्यका प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं है। चैतन्यदेव इसी सम्प्रदायमें पहले दीक्षित हुए थे यद्यपि बादमें प्रवर्तित उनकी गौडीय वैष्णवमतवाद रुद्रसम्प्रदायान्तर्गत वल्लभाचार्यकै मतसे अधिक साम्य रखता है। चैतन्यदेवकी शिष्य-परम्परामें अनेक वैष्णव कवि बंगला और हिन्दीमें मधुर पदावलीकी रचना कर गये हैं। अभी तक इस दिशामें हिन्दीमें विशेष कार्य नहीं हुआ है। हिन्दी साहित्यमें चैतन्य देके एकमात्र दीक्षा-प्राप्त शिष्य गोपाळ भट्टका महत्त्वपूर्ण स्थान है। कुछ हिन्दी साहित्यके इतिहास-लेखकॉोंने गोपाल भट्टको चैतन्यदेवका गुरु लिखा है ! चैतन्य-चरितामृत आदि ग्रंथोंसे स्पष्ट है कि श्री गोपाल भट्ट एकमात्र ऐसे महात्मा थे जिन्हें चैतन्यदेवने दीक्षा दी थी। चैतन्य सम्प्रदायके सुप्रसिद्ध भक्त दीवगोस्वामीके साथ हिन्दीकी अमर भक्तकवि मीराबाई का सम्बन्ध है । मीराबाईने पहले जीबगोस्वामीसे ही दीक्षा ग्रहण की थी । बादमें मीराबाईने, कहते हैं, रैदाससे भी दीक्षा ग्रहण की थी। | ३ रुद्र सम्प्रदाय-विष्णुस्वामीप्रवर्तित रुद्र-सम्प्रदाय असलमें बल्लभाचायके प्रवर्तित संप्रदायके रूपमें ही जीवित है । दो-एक अन्य शाखायें भी इसकी बताई जाती हैं पर वास्तव में उनका कोई महत्व नहीं है । वल्लभाचार्य पुत्र गोसाई बिट्ठलनाथ चादमें आचार्य पदके अधिकारी हुए थे। इन दोनों पिता-पुत्रके चार चार शिष्य हिन्दी साहित्यके आदि युगके उन्नार्थक हैं। गोसाई विठ्ठलनाथने इन आठको लेकर अष्ट-छापकी प्रतिष्ठा की थी । इन आठ शिष्योंके नम इस प्रकार हैं-सूरदास, कुंभनदास, परमानंददास, कृष्णदास, छीतस्वामी, गोविन्दस्वामी, चतुर्भुजदास और सुन्दास । इनमें सूरदास और नन्ददास बहुत अच्छे कवि हो गये हैं। सूरदासका हिन्दीमें बहुत ऊँचा स्थान है। उनका सूरसागर प्रेमका अद्वितीय काव्य है। इस बासको स्वीकार करनेमें कड़ेसे कड़े समालोचकको भी कोई संकोच नहीं होगा कि इस ग्रंथ में हिन्दी, प्राकृत और संस्कृतके उद्भटकायका कोई भी उक्ति-चमत्कार, अलंकारच्छटा और काव्य-सौन्दर्य आने से नहीं रहा। भाषा ऐसी सरस और मार्जित है कि सहसा यह विश्वास नहीं होता कि प्रबभाषाका , यह पहला ग्रंथ है। पुं० रामचंद्र शुक्लको ६ सूरसागर किसी चली आती