पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/७०

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५० हिन्दी साखियकी भूमिका क्षितिमोहन लेनकी आधुनिक खोजोंसे जाना गया है कि ये जुल्मसे मुसलमान थे। प्रो० सेनको बङ्गालके बाउलों में दादूका उल्लेख मिला है। उसमें स्पष्ट बेलाया गया है कि गुरु दादूका नाम दाऊद था । जो कुछ भी हो, दादूकी कवित्व-शक्ति और अनुभव आश्चर्यजनक थे । इस सम्प्रदायके अन्यान्य भक्तों की भाँति ये भी सुंम्प्रदायु-गत शास्त्रीय-संस्कारों से मुक्त थे इसीलिए सब जगह अकावर भावसे सुल्य ग्रहण कर सकते थे। इनके ग्रंथोंकी भाषा राजस्थानी-मिश्रित पश्चिमी हिन्दी है । दाटूके अनेक शिष्य हो गये हैं जिनमें कई अच्छे कवि हो गये हैं । सुन्दरदास, रज्जब, जनगोपाल, जगन्नाथ, मोहनदास, खेमदास आदिने कविता लिखी हैं। इनमें साहित्यिक उल्लेखके योग्य दो हैं--सुन्दरदास और रज्जब । सुन्दरदास बहुत छोटी उमरमें दादूके शिष्य हो गये थे और उन्होंने वर्षों तक काशीमें रहकर शास्त्राभ्यास किया था। इसका फल यह हुआ कि इनकी कविता पाण्डित्यकी मात्रा अधिक है। सन्तों में अगर किसीने छत्रबन्ध, सुरजबन्छ आदि बाह्य आलंकारिताको आश्रय दिया तो वे यही हैं। लेकिन रज्जब बहुत पढ़े-लिखे आदमी नहीं थे । वे बड़े सरस ढङ्गसे तस्वकी बाते कहा करते थे। दादू के शिष्योंमें रज्जब शायद सबसे अधिक चिन्ताशील और भावुक थे । दादूकी शिष्य-परम्परामें जगजीवनदास हुए जिन्होंने सतनामी सम्प्रदाय चुलाया । निर्गुण भक्तोंकी परम्परामें मलूकदासका नाम है । कहते हैं इनकी कविताकी भाषा अपेक्षाकृत अधिक सुव्यवस्थित हैं। और भी कई प्रसिद्ध सन्त हो गये हैं, जिन्होंने हिन्दी में अपनी अमर वाणियाँ लिखी हैं । इनमें तुलसी साहब, गोविन्द साहब, भीखा साहब, पल्टू साहब आदि मुख्य हैं । रामानन्दी भक्तों की एक दूसरी श्रेणीमें महाकवि गोसाई तुलसीदासजी हुए। इन्होंने रामको अवतार रूपमें ग्रहण किया। इन्होंने अपने सभी ग्रन्थों में रामकी सगुण उपासनपर जोर दिया और बहुत दिनोंके लिए सारे भारतवर्षको राम| भक्तिकी पवित्र धारा में स्नान करा दिया । बुद्धदेवके बाद उत्तर भारतके धार्मिक राज्यपर इस प्रकार एकच्छत्र अधिकार किसीका न हुआ । उन दिनों हिन्दीमें साहित्य या लोक-गीतके जितने रूप प्रचलित थे तुलसीदासने सबको अपनी बारचर्यजनक प्रतिभाके बलपर अपना लिया । दोहे, सवैये, कवित्त, पद, सोहर, अछन अदि कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं था जिसमें उन्होंने अपनी प्रतिभाको क्षत्र न दिखाया हो उनकी रामायण उत्तर भारतकी बाइबिल कही जाती है।