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सन्त-साहित्यके संबंध लिखते समय आचार्य श्री क्षितिमोहन सेन महाशयसे अनेक स्थानोंपर बहुत सहायता मिली है। लेखकके ऊपर उनका स्नेह इतना अधिक रहा है कि इस स्थानपर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करनेमें भी उसे बहुत संकोच हो रहा है

अनेक विद्वानोंकी लिखी हुई अनेक पुस्तकोंसे अनेक सहायता मिली हैं पुस्तक में ही यथा-स्थान उनका उल्लेख कर दिया गया है। वस्तुतः इस पुस्तकमें जो कुछ भी अच्छा है वह अन्य विद्वानोंकी चीज़ है, लेखकका काम संग्रह करना ही अधिक रहा है। सबके प्रति वह अपनी कृतज्ञता निवेदन करता है।


हजारीप्रसाद द्विवेदी