पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/६६

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हिन्दी साहित्यकी भूमिका भोजमें ही उठता है। इसीको दक्षिणमें ‘तेन कलाई' या दक्षिणवाद कहते हैं । इस बातको कुछ अधिक स्वाधीनता समझकर पन्द्रहवीं शताब्दीमें वेदान्त देशिकने बेदाद और प्राचीन रीतिको पुनः प्रवर्तित किया । इसीको बह · वेद कलाई ! या वैदबाद कहते हैं। ‘तेन कलाई' वालोंने विवाहमैं होम और विधवाका मस्तक -मुण्डन आदि चार छोड़ दिये थे। किंतु वेदान्त देशिकने पुनवीर इन अचा रोंकों जीवित किया । स्पष्ट ही जान पड़ता है कि अलवारोंका भक्तिमतवाद भी जनसाधारणकी चीज़ था जो क्रमशः शास्त्रका सहारा पाकर सारे भारतवर्ष में फैले गया । यह हम ठीक नहीं कह सकते कि पुराने आलवार भक्तोंने इसे भक्तिवादको कहाँतक दार्शनिक रूप दिया है। बहुत संभव है जैसा कि प्राथः हुआ करता है, किं अपने आपमें वह उत्तर भारतके सन्त की तरह अनभै साँचा पंथ,' या अनुभूत सत्यको अस्तव्यस्त रूप रहा हो जिसे बाद शास्त्रज्ञानशाली पण्डितोंने ब्योरेवार सजाया हो और उसे दार्शनिक रूप दिया हो। उत्तर भारतमें इन वैष्णवशास्त्री आचार्योंकी कृपासे उसके दार्शनिक रूपको ही अधिक प्रचार हुआ। ऊपर दक्षिणके जिस वैष्णव आन्दोलनकी चर्चा की गई है, इसका जरा विस्तृत विवरण यहाँ देना आवश्यक है क्योंकि असलमें दक्षिणका बैष्णव मतवाद ही भक्त आन्दोलनका मूल प्रेरक है। बारहवीं शताब्दीके आस पास दक्षिणमें सुप्रसिद्ध शङ्कराचार्य दार्शनिक मत अद्वैतवादकी प्रतिक्रिया शुरू हो गई थी । अद्वैतवादमें, जिसे बादके विरोधी आचार्यों ने मायावाद भी कहा है, जीव और अहाकी एकता भक्तिके लिए उपयुक्त न थी क्योंकि भुक्तिके लिए दो चीज़ोंकी उपस्थिति आवश्यक है, जीवकी और भगवानकी । प्राचीन भागवत धर्म इसे स्वीकार करता था । दक्षिणके आलवार भक्त इस बातको मानते थे। इसी लिए बारहवीं शताब्दीमें जब भागवत धर्मने नया रूप ग्रहण किया तो सबसे अधिक - विरोध मायावादका किया गया। चार प्रबल सम्प्रदाय अद्वैतवादके विरोधमें आविर्भूत हुए जो आगे चलकर सम्पूर्ण भारतीय साधनाके रूपको बदल देनेमें समर्थ हुए। ये चार सम्प्रदाय हैं---रामानुजाचार्यका श्री सम्प्रदाय, मध्वाचार्यको माझ सम्प्रदाय, विष्णुस्वामीका रुद्र सम्प्रदाय और निम्बार्काचार्य (निम्बादित्य) का सनकादि सम्प्रदाय । इन चारों सम्प्रदायकै दार्शनिमतमें भेद है परन्तु अक शतमें वे सब सहमत हैं। वह बात मायावादको एिके। दूसरी बात जो इन सबमें एक है वह भगवान्का अवतार धारण र भला युगक नए सुबके मतसे