पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/२७९

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. हिन्दी साहित्यकी भूमिका कृष्ण, नील, हरित, श्याम आदि रङ्गोंका प्रयोग एक दूसरेके स्थानपर किया जा सकता है । यह मान लिया जाता है कि ये रंग एकार्थवाचक है। इसी प्रकार पीत और रक्तको, तथा श्वत और गौरको एक ही रङ्ग मान लिया जाता है। आँखोंका वर्णन अनेक रङ्गका किया जाता है-कभी श्याम, कभी का कभी श्वेत, कभी लाल और कभी मिथ रङ्ग।। २७ राजहंस कवि-समयके अनुसार वर्षाकालमें हंस उड़कर मानसरोवरको चले जाते हैं। , कालिदासने भी वर्षाकालमें मानस-सरके लिए उत्कण्ठित हंसोंको कैलासकी ओर उड़ते जाते देखा था। हंस अनेक जातियोंके होते हैं । अमरकोषके मतसे लाल चरण और चोंचबाले सित (श्वत) वर्ष के हंसको राजहंस कहते हैं। भारतवर्षमें इस जातिके हंस विरल नहीं। ह्विस्लरका कहना है कि उत्तर और मध्य एशि- यामें जब कड़ाके की सर्दी पड़ने लगती है तो हंस जातिके अनेक पक्षी दल बाँध- कर दक्षिणकी ओर अक्लान्त भावसे दिवा-रात्रि उड़ते हुए हिमालय पर्वतको लाँघते दिखाई देते हैं। ये प्रजनन और आहारकी सुविधाओंके लिए जुलाईके आरम्भमें ही फिर हिमालयको लाँघना शुरू कर देते हैं। सितम्बरके महीनेमें इन प्रवाजकोंकी संख्या बहुत अधिक हो जाती है । हिमालयको पूर्वी और पश्रिमी दोनों सिरोंसे ये पार करते हैं। मेघोंके साथ इनका घनिष्ठ सम्बन्ध है। कई जातियों के इस तिब्बतकी लडाक झीलमें और कैलासके पाददेशमें अव- स्थित मानसरोवरमें अण्डा देते हैं । हिमालयके नाना स्थानोंमें, और मानसरोवरमें 'भी. पक्षितत्त्वज्ञोंने राजहंसों तथा अन्यान्य हंसोंको वर्षाकालमें अबस्थान करते देखा पीत-दीप, जीव, इन्द्र, गरुड, शिवके नेत्र और जटा, ब्रह्मा, वीररस, स्वर्ण, वानर, द्वापर, गोरोचन, किञ्जल्क, चक्रवाकी, हरिताल, मनःशिल । धूसर-रज़, लता, करम, गृहगोधा, कपोत, मूषक, दुर्गा, काक्रमष्ठ, गदर्भ । हरित-सूर्याश्व, बुध, मरकत आदि। १-२ साहित्यदर्पण ७-२३ । ३ मेव० । ४ अमरकोश ५-२४ । ५A Popular Hand book of Indian Birds (1928) P.XXI.