पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/२७३

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हिन्दी साहित्यकी भूमिका २१ भूर्जपत्र कवि समय के अनुसार केवल हिमालयमें ही भूर्जत्वक्का वर्णन होना चाहिए। हिमालयमै ये बहुतायतसे पाये भी जाते हैं। इनकी ऊँचाई कभी कभी ६० फुट तक होती है। सिरपर बहुत-सी शाखा-प्रशाखायें होती हैं । कुरम उपत्यकामें यह वृक्ष १०-१५ हजार फुटकी ऊँचाईपर पाया गया है। हिमालयमै १४००० फुट और उत्तरी पंजाबमें ७००० फुटकी ऊँचाई पर इसके वृक्ष होते हैं । भारत- वर्षमें सतलजकी घाटीसे लेकर नेपाल गढ़वालतक ५००० से १०००० फुटकी ऊँचाई पर ये वृक्ष पाये गये हैं। चीन और जापानमै भी ये वृक्ष मिलते हैं । एक दूसरी जातिके भोजपत्र दार्जिलिंगकी तराई, आसामकी पहाड़ियों और लोअर ब्रक्षाकी पहाड़ियोपर पाये जाते हैं। पर सब बातों का ध्यान रखते हुए इतना निःसन्देह कहा जा सकता है कि भूर्जपत्र मुख्यतः हिमालय पर्वतमालाका ही वृक्ष है। कालिदासने हिमालय और कैलासके वर्णनमें इसका नाम लिया है राज- शेखरने पश्चिमी वायुके वर्णन में हिमालय पर्वतके भूजेंद्रमोंका वर्णन किया है। २२ मन्दार मन्दार रमणियोंके नर्म-वाक्यसे पुषित होता है । यह इन्द्रके नन्दन-काननके पाँच पुष्पों से एक है । इस नामका एक पुष्प पंजाब और मारवाड़की और प्रचलित है पर ब्राण्डिसने अपने ग्रन्थमें इस जातिके मन्दारका जो चित्र दिया है उसमें पुष्पोंके स्तबक नहीं हैं कालिदासके परिचित मन्दारके वृक्ष पुष्प-स्तवक हुआ करते थे। मन्दार अर्क और धत्तूरके वृक्षको भी कहते हैं पर असलमें कवि- वर्णित मन्दार वनस्पति-शास्त्रियोंका परिचित 'कोरल ट्री' है। इसका वृक्ष कुछ पीलापन लिये हुए भूरे रंगका होता है । पुष्प-स्तवकमें बैंगनी रंगसे मिलते रंगके गोल गोल छोटे छोटे पुष्प होते हैं। वृक्ष बहुत बड़ा नहीं होता । अलकापुरीवाला बालमन्दार वृक्ष इतना ऊँचा था कि उसके पुष्प हाथसे ही छए जा सकते थे। इन्द्राणीके अलकमें मन्दार-पुष सुशोभित रहा करते थे । शकुन्तला नाटकमें १. काव्यमीमांसा १४; साहित्यदर्पण ७-२५; अहंकारशेखर, मरीचि १५ इत्यादि । २. Brandis: Indian Trees. P622.३ कुमारसंभव १-७ और १-५५ ४कान्यमीमांसा १८१५ मेघदूत २-१७ मल्लिनाथकी टीका। ६ अमरकोष १-५०। ७ Indian Trees. ८ Indian Trees P.220.९ मेघदूत १-७५ } १० रघुवंश ६-२३॥