पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/२६२

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कवि-प्रसिद्धियाँ २३९ सफेद नहीं होते। मूलके पाससे पंखड़ियोंका ऊपरी भाग ईषत् रक्ताम होता है पर फूल विकसित होनेपर एकदम सफेद दिखाई देता है। कवि-प्रसिद्धि है कि इसके कुड्मल भी सफेद होते हैं। इस संबंध उलेख-योग्य बात इतनी ही है कि काव्यमीमांसा, कवि-कल्ललता-वृत्ति, अलंकारशेखर आदिके मतसे कुन्दके कुड्मल वास्तवमें लाल होते है किन्तु अजितसेनके अलंकार-चिन्तामणिके अनुसार ये असलमें इरित होते हैं। कविगण इसके कुडमलको श्वेत ही वर्णन करते हैं । धन्वन्तरि-निघंटुके मतसे पनके सात भेद हैं । (पद्म-प्रकरण देखिए) कुमुद उनमेंसे एक हैं । उक्त निघंटुके मतसे कुमुदका ही दूसरा नाम कल्हार है। किन्तु अमरकोषके अनुसार सौगन्धिक ही (श्वेत पझ) कल्हार कहलाता है, कुमुद नहीं। भाव-प्रकाशमें भी कुमुद और कल्हारको अलग अलग माना है। भाव-प्रकाश और अमरकोष दोनोंके मतसे कुमुद केवल सफेद ही होता है लेकिन कई वैद्य एक लाल कुमुदका भी वर्णन करते हैं । इल्हणने इसका लोकनाम "कुइया' कहा है । कालिदासने कुमुदका वर्णन शरत्कालमें किया है। जिस प्रकार पद्मका वर्णन सर्वत्र जलाशयोंमें करना कवि-समय है, उसी प्रकार कुमुदका भी । केवल दिनमें इसका विकसित होना नहीं माना जाता । भात्र- प्रकाशके मतसे नाल-पत्र आदि सर्वावयव-सम्पन्न कुमदको कुमुदिनी कहते हैं। १० कुरबक कुरवक स्त्रियों के आलिङ्गनसे पुष्पित हो जाता है। अमरसिंह के मतसे यह झिण्टीका एक भेद है । झिण्टी चार प्रकारकी होती है; रक्त, श्वेत, पीत और १ काव्य मीमांसा अध्याय १५, अलङ्कारशेखरनरीत्रि १५, अलङ्कारचिन्तामणि पृ० ७-८; कविकल्पलतावृत्ति २ पृ० ३०-३१; विकल्पलता पृ० ४११२ माघ ११-७॥ ३ वनौषधिदर्पण पृ. ४०₹ 1 ४ अमरकोष १०-३५१५भावप्रकाश १-१ पुष्पवर्ग | ६ अमर १०-३६ । ७ वनौषधिदर्पण पृ. ४०११ सुश्रुत स्वस्थान १३-१३ टका । ९ अनुसंहार ३-२।१० काव्यमीमांसा, अध्याय १३; अजरोखर, नरीचि १५ कविकल्पलता, द्वितीय प्रलान इत्यादि । ११ कावदनीमांसा । १२ भावप्रकाश पुष्पवर्ग १-२। १३ नेवदूत २-१७ पर मल्लिनाथकी टीका और कुमारसम्भव ३-२६ पर उन्हीं की टीका । १४ अ०४-५