पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/२६०

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कवि-प्रसिद्धियाँ देश में पाया जाता है, सिन्धकी घाटियों और पेशावरकी ओर बहतायतसे मिलता है। उत्तरी हिमालयके प्रदेशोंमें इसे चार इजार फुटकी ऊँचाई पर फूलते देखा गया है। यात्रियोंने हिमालय प्रदेशके कर्णिकार वृक्षोंके सौंदर्यको उच्छ्वसित प्रशंसा की है। हिन्दी में जिस पुरुषको कनेर कहते हैं उससे कर्णिकारका शायद रंग-सास्यके सिवा और कोई सम्बन्ध नहीं। ७ कामदेव कामदेवक सम्बन्धमें कई कवि-प्रसिद्धियाँ हैं । इनको दो श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं। पहली में उनके शस्त्रों-सम्बन्धी प्रसिद्धियाँ हैं और दूसरीमें स्वयं काम-सम्बन्धी । इस प्रकार (१) कामदेवके अनुष और काम पुष्पमन्य हैं, घनपकी नौवी रोलम्बमाला या भ्रमर-श्रेणीकी है, और इनके बाणोंसे युवकोंका हृदय फट जाया करता है। (२) वे भूत भी है और अमूर्त भी, उनके ध्वजमें मत्स्य और मकर एकार्यवाचक हैं । (२) पौराणिक कथा है कि कामदेवको शिवने जन भस्म किया तो उनका मणिखचित धनुष पाँच टुकड़ों में विभक्त होकर पृथ्वीपर गिर पड़ा। उक्मविभूषित पृष्ठवाला मुष्टिबंध (मुठ) चम्पाका फूल होकर पैदा हुआ, वत्र (हीरा) का बना हुआ नाह स्थान अकुल पुष्प हुआ, इन्दनील-शोभित कोटि-देश पाटल-पुष्पमें परिवर्तित हो गया, नाह और मुष्टिबंधा मध्यवर्ती स्थान, जो चन्द्रकान्त मणिकी प्रभासे प्रदीप्त था, जाती-पुष्प हुआ और मूठ के ऊपर और कोटिके नीचे का हिस्सा जिसमें विद्रम मणि जड़ी थी, मल्लीके रूपमें पुश्वीपर पैदा हुआ तबसे अमन धनुष पुष्यमय होकर ही पृथ्वीपर विराजमान है। कामदेवके पुष्पमय पाँच वाघों में अरविंद (कमल). अशोक, आम, नवमल्लिका और नीलोत्पल हैं। किसी किसीके मतसे द्रावण, शोषण, तापन, मोहन और उन्मादन; या सम्मोइन, समुद्वेगबीज, स्तंभनकारण, उन्मादन, ज्वलन और चेतनाहरण ये कामबाण हैं: या सम्मोइन, उन्मादन, शोषण, तापन और स्तंभन ये ही कामदाण हैं। एक और मत यह है कि पाँच इंद्रियों के विषय अर्थात् शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध ये ndian Trees: P.253.३ साहित्यदर्भग ४-२४ । ३ काव्यमीमांसा अध्याय २३, अन्कारशेखर १५४ वामनपुराण, अध्याय ।