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२३३ m oreaam क्षुद्रकाय परिचय, सबका नाम देना भी मुश्किल है। नाना दृष्टियोंसे, विशेषकर जनसाधारणके जीवन के सम्बन्ध में जानने के लिए इन ग्रंथों का बहुत नहत्त्व है। जैन आचार्योंने नाटक भी लिखे हैं जिनमेंके अधिकांश असाम्प्रदायिक है। हेमचन्द्राचार्य के शिष्य रामचन्द्रसूरिके कई नाटक हैं। नलविलास, सल्यहरिश्चन्द्र, कौमुदीमित्रानन्द, राघवाभ्युदय, निर्भय-भीम-ध्यायोग आदि नाटक प्रसिद्ध हैं । कहते हैं, इन्होंने १०० प्रकरण-ग्रन्थ लिखने । विजयपालके द्रौपदीस्वयंवर, इस्तिमल्लके विक्रान्तकौरव और सुभद्राहरण में भी महाभारतीय कथाओंको नाटकका रूप दिया गया है। इस्तिमल्लिने रामायणकी कथाका आश्रय लेकर मैथिलीकल्याण और अंजनापवनंजय नामक दो और नाटक लिखे हैं। यशश्चन्द्रका मुद्रित-कुमुदचन्द्र एक साम्प्रदायिक नाटक है जिसमें कुमुदचन्द्र नामक दिगम्बर पंडितका श्वेतांबर पंडितसे पराजित होना वर्णन किया गया है (११२४ ई.)। वादिचन्द्रसूरिका ज्ञानसूर्योदय श्रीकृष्ण मिश्रक सुप्रसिद्ध 'प्रबोध-चन्द्रोदय' नाटकके दङ्गका, एक तरहसे उसके उत्तर रूपमै लिखा हुआ, नाटक है। जयसिंहका हम्मीर-मद-मदन ऐतिहासिक नाटक है। सन् १२०३ ई० के आसपास यशपालने मोहराज-पराजय नामक रूपक लिखा था । मेघप्रभाचार्य का धर्माभ्युदय काफी मशहूर है। काम्य-नाटकों के सिवा बैन कवियोंने हिन्दू और बौद्ध आचार्योंकी भाँति एक बहुत बड़े स्तोत्र-साहित्यकी भी रचना की है। नीति-न्योंकी भी जैनसादित्वमें कमी नहीं है। राष्ट्रकूट अमोघवर्षकी प्रश्नोत्तर-रत्नमालाको ब्राह्मण, बौद्ध और जैन सभी अपनी सम्पत्ति मानते हैं। इसके सिवाय प्राकृत और संस्कृतमें जैन पण्डितोंके लिखे हुए विविध नीतिग्रन्थ बहुत अधिक है। दिगम्बर आचार्य अमितगतिके सुभाषितरत्नसन्दोह, योगसार और धर्मपरीक्षा (१०९३) महत्त्व'पूर्ण अन्य हैं। इन अन्धों में सभी जैन-प्रिय विषय हैं : वैराग्य, स्त्री-निन्दा, ब्राह्मण-निन्दा, त्याग इत्यादि। हेमचन्द्रका योगशास्त्र और शुभचन्द्रका ज्ञानार्णव बहुत लोकप्रिय ग्रंथ हैं। और भी अनक नीतिग्रन्थ हैं जिनमें सोमप्रभ कुमारपालप्रतियोध, सूक्तिमुक्तावली और शृङ्गारवरग्यतरङ्गिनी, चारित्रसुन्दरका शीलड्न (१४२०ई०), समयसुन्दरकी गाथावाहली (१६३०ई०) प्रसिद्ध हैं। लेकिन जैन आचार्योंका सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं उनकी दार्शनिक सैद्धान्तिक उक्तियाँ। यह नानी हुई बात है कि इन पबिडतोंने न्यायश्चास्त्रको पूर्णतातक पहुँचाने में बहुत बड़ा काम किया है। इनमें सबसे प्राचीन आचार्य जो दोनों