पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/२३४

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बौद्ध-संस्कृत साहित्य २११ शताब्दिमें सुप्रसिद्ध बौद्ध आचार्य शान्तिरक्षित हुए, जिनका तत्त्वसंग्रह नामक दार्शनिक ग्रन्थ बहुत महत्त्वपूर्ण है। यहाँ तक आते आते बौद्ध-स्रोत भारतवर्ष प्राय: सूख चला था। ग्यारहवीं शताब्दीके अन्त में एकमात्र उल्लेख-योग्य आचार्य अद्वयराज हुए जिन्होंने महायान और वज्रयान सम्बन्धी कविताएँ लिखीं। माहात्म्य, स्तोत्र, धारणी और तंत्र बौद्ध माहात्म्य और स्तोत्र हिन्दुओंकेसे हैं । स्वयंभू पुराणका नाम यद्यपि पुराण है, पर है वह एक माहात्म्य-ग्रंथ । बौद्धोका स्तोत्र-साहित्य काफी बड़ा है। सबसे अधिक स्तोत्र ताराके हैं। तारा अवलोकितेश्वरकी शक्ति और प्रज्ञा-स्वरूपा हैं । इन स्तोत्रों और माहात्म्योंके चिह्न प्राचीन सूत्रोंमें भी पाये जाते हैं। घारणी मन्त्रोंकी पुस्तकें हैं। नाना प्रकारके मन्त्र, जिनके जपसे सब प्रकारकी बाधाएँ दूर हो जाती हैं, इनमें संग्रहीत हैं। महायानसूत्रोंमें भी ये धारशिया पाई जाती हैं। असलमें धारणी और सूत्रों में कभी भी कड़ाईके साथ भेद नहीं किया गया। धारणियोंके नामपर सूत्र और सूत्रों के नामपर धारणियाँ प्रायः पाई जाती हैं। इन धारणियोंके विचित्र मन्त्रोंका कोई अर्थ नहीं होता। उदाहरणार्य साँपोंके भगानेका मन्त्र है, 'सर-तर सिरि-सिरि सुरु-सुर नागानां जय-जय निवि- जिवि जुवु-जुवु' । इसमें 'सर' और ' नागानां' सार्थक पद कहे जा सकते हैं; पर समूचे वाक्यमें वे भी निरर्थक-से हो गये हैं। इन मन्त्रोंके जप करनेसे निर्दिष्ट सिद्धि लाम होनेकी बात कही गई है। ये मन्त्र उत्तरकालीन हिन्दू-समाजमें बहुधा ज्योंके त्यों आ गये हैं । असल में अन्तिम समयमें बौद्ध धर्मका प्रधान संबल मन्त्र-तन्त्र ही रह गये थे। मन्त्रयान और वज्रयान बौद्ध धर्मके अन्तिम प्रतिनिधि हैं: परन्तु ये भी धीरे धीरे शैवादि मतोंमें घुल-मिल गये। तन्त्रों की पुस्तकें प्रायः शाक्तों जैसी ही हैं, अन्तर इतना ही है कि उनमें थोड़ा-बहुत बौद्धत्व बाकी है। इनमें बताया गया है कि किस विशेष सिद्धिके लिए किस विशेष देवताका किस विशेष मुद्रा ध्यान करना चाहिए । ब्यानके लिए देवताके अंगों का पूरा विवरण दिया गया है और मूर्ति-शिल्पके द्वारा इस प्रक्रिया सहजबोध्य भी बनाया गया है। यह मूर्ति-शिल्प बौद्ध-तन्त्रोंकी अमूल्य देन है। इनमें मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन आदिकी विधियों भी बताई गई हैं और जार्थ मन्त्र-निर्देश भी है। कभी कभी उपभीष्ट-सिद्धि के लिए यन्त्रीका