पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/२०३

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१८२ - हिन्दी साहित्यकी भूमिका श्लोकोंका हुआ है। विद्वानों का अनुमान है कि मूल कान्यमें राम विष्णुके अवतार नहीं कहे गये होंगे, बादमें चलकर मूल ग्रंथमें इस प्रकारकी बातें प्रक्षेप की गई होंगी। बालकाण्ड और उत्तरकाण्ड निश्चित रूपसे परवर्ती रचनायें हैं। इन्हीं दोनोंमें रामको विष्णुका अवतार बताया गया है। और दूसरेसे छठे काण्ड तक रामचंद्र लौकिक नायककी भाँति अंकित किये गये हैं। ऐसे स्थल बहुत कम है ( और ये निश्चय ही प्रक्षित हैं ) जहाँ उन्हें विष्णुका अवतार बताया गया हो। कभी कभी बालकाण्डकी घटनाओं के विरुद्ध कही हुई बाते भी अन्य काण्डोंमें मिल जाती है। उदाहरणार्थ, बालकाण्डमें रामके साथ ही अन्यान्य भाइयोंकी भी शादी हो गई है, पर आगे चलकर शूर्पणखाके प्रसंगमें रामने बताया है कि , लक्ष्मणकी शादी नहीं हुई है। दूसरेसे छठे काण्ड तकमें जो पौराणिक कहानियाँ आती हैं, वे काफी पुरानी है। सारे भारतवर्ष में रामायणके कई रूप मिलते हैं जिनमें परस्पर बड़ा भेद है। कभी कभी कई सर्गके सर्ग एक प्रतिमें अधिक होते हैं और दूसरीमै कम । साधारणतः तीन संस्करण अब तक मुद्रित होकर प्रचारित हुए हैं। अधिक प्रचलित बंबईवाला संस्करण है जो कई बार छप चुका है। बंगाली संस्करण भी कलकत्तेसे कई बार छप चुका है। उत्तरी या काश्मीरी संस्करण हालहीमें लाहोरमै छपने लगा है | लाहौरसे रामायणका विवेचनात्मक संस्करण प्रकाशित करनेका भी प्रयत्न हो रहा है। जैकोबीका कहना है कि सम्पूर्ण भारतवर्षके प्रचलित पाठ- भेदोंको छोड़ देनेसे समायणका मूल रूप आसानीसे पाया जा सकता है,-अन्ततः उसका खोज निकालना उतना कठिन नहीं है जितना महाभारतका । संभवतः सब छोड़-छाड़कर २४००० श्लोकॉमसे केवल एक चौथाई बच रहे। महाभारतकी ही भाँति रामायण कालके संबंध कुछ भी निश्चित रूपसे नहीं कहा जा सकता। इतना निश्चित है कि महाभारतके वर्तमान रूप प्राप्त होने के पहले ही रामायणको वर्तमान रूप प्राप्त हो गया था। महाभारतके वन पर्वमें केवल रामायणकी कथा ही नहीं आती, वाल्मीकि कविकी चर्चा, रामका विष्णु अवतार होना आदि बातें भी पाई जाती हैं। कुछ कहानियाँ जिन्हें पडितमंडली बादकी प्रक्षिप्त मानने में नहीं हिचकती (जैसे हनुमानका लंकादाह) महाभारतमें पाई जाती हैं। इन सब बातोंसे यह सिद्ध होता है कि रामायणके वर्तमान रूपका ही संक्षिप्त रूप महाभारतमें जोड़ा गया है। जिस प्रसंगमें बह कहानी महाभारतमें कही