पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/१९४

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महाभारत क्या है? १७५ अर्ययुक्त कथा बनाया था। आली है ! फिर उसी उपर्ययुक्त कथासे इतना स्पष्ट है कि महाभारतको तीन बार तीन वक्ताओंन तीन प्रकारके श्रोताओं को सुनाया था। आदिपर्व में बताया है कि उपाख्यानोंको छोड़कर २४००० श्लोकोंकी संहिता उन्होंने लिखी है। फिर उसी अध्यायमें यह भी कहा गया है कि व्यासदेवने ६० लाख श्लोकका कान्य लिखा था जिसमें ३० लाख देवोंके लिए, १५ लाख पितरोंके लिए, १४ लाख गन्धवोंके लिए और वाकी १ लाख मनुष्यों के लिए लिखे गये थे (१-१-१०१)। इन्हीं एक लाख श्लोकों का यह विशाल काम्य आजका महाभारत है, इसीलिए इसे 'शतसाहनी संहिता' या 'सौ हजार श्लोकोंका संग्रह-ग्रन्थ' कहा जाता है। आगे चलकर . पाठकोंको मालूम होगा कि इस बातका पक्का सबूत पाया गया है कि कमसे कम दो हजार वर्ष पहले महाभारतमें एक लाख श्लोक मोजूद थे। ___ कलकत्तेसे छपे हुए महाभारतके १८ पत्रों में ९००९२ श्लोक है। इसमें हरि- चंश भी, जो महाभारतका खिल या परिशिष्ट है, जोड़ दिया जाय तो श्लोक- संख्या १०६४६६ हो जाती है। हरिवंशमें एक भविष्यपर्व नामक पर्व है। पंडितोंकी रायमें यह पर्व बहुत बादका प्रश्चिप्न होना चाहिए। अगर इस पर्वक श्लोकोंको छोड़ दिया जाय, तो सम्पूर्ण महाभारत और हरिवंशमें कुल मिलाकर १००२५४ श्लोक होते हैं। यह संख्या एक लाखके बहुत निकट है। बम्बईसे छपे हुए महाभारतमें इससे २०० के करीब श्लोकोंका अन्तर है। महाभारतकी मूल कहानीमें परिवर्तन जब कहा जाता है महाभारतकी मूलकथामें परिवर्तन हुआ है तो इसका यह अर्थ नहीं है कि सचमुच किसीने बैठकर एक खास उद्देश्यको लेकर कहानीको बदला था। शताब्दियों तक महाभारतकी कहानी सूतों (बंदियों ) के मुख में फलती-फूलती रही। संजय भी सूत और लोमहर्षण भी सूत-पुत्र थे। अन्तिम बार वैशम्पायनने जनमेजयको जी कहानी सुनाई, उसमें निश्चयपूर्वक पाण्डवोंकी और श्रीकृष्ण की प्रशंसा थी। वर्तमान महाभारतके श्रीकृष्ण एक अद्भुत व्यक्तित्व रखते हैं। पाण्डवोंकी ओरसे जहाँ कहीं अन्यायाचरण हुआ है, उसके सूत्रधार विचित्र रूपसे वे ही रहे हैं। फिर भी महाभारतमें वे भगवान्के अवतार हैं, और उनके द्वारा अनुप्रेरित अन्यायाचरणको भी महाभारतमें उनका अलौकिक चरित्र बताया गया है। जान पड़ता है कि महाभारतने जिन दिनों वर्तमान रूप