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महाभारत क्या है ?

महाभारतको केवल एक ग्रन्थ या एक महाकान्य कहने-मरसे इसके बारे में कुछ भी नहीं समझा जा सकता। असल में, जैसा कि सुप्रसिद्ध जर्मन पंडित विण्टरमिजने कहा है, महाभारत अपने आपमें सम्पूर्ण एक समग्र साहित्य (Tnole Literature) है। महाभारत शब्दका अर्थ महायुद्ध है. क्योंकि पाणिनि (४-२.५६ ) के मतसे 'भारत' का अर्थ संग्राम ही होता है। पर जान पड़ता है. 'भारत' शब्दका सम्बन्ध भरत-वंशसे है, क्योंकि स्वयं महाभारतमें ही इस कथाको' महाभारत-युद्ध' (१४-८१-८) और 'महाभारताख्यान' (१-६२-३९) कहा गया है ! सम्भवतः 'महाभारत' हाब्द इन्हीं शब्दोंका संचित रूप हो, इसीलिए पंडितोंने महाभारतका अर्थ किया है, 'भरत-वैशवालोंके युद्ध की कथा स्वयं महामारसने इस नाम- करणका एक मजेदार कारण दिया हुआ है। एक बार देवताओंने स-रहस्य बारों वेदों को सराजूके एक पलडेवर और महाभारतको दूसरे पलड़ेपर रखकर तोटा। महाभारत सारी निकला। इसीलिए 'महान' और 'भारवान्' (भारी) होनके कारण बह 'महाभारत' कहा जाने लगा (१-१-२६९-७१)। ऋग्वेदमें इन भरतवंशवालोंका उल्लेख है। ब्राह्मण-प्रन्थों में मरतको दुष्यन्त और शकुन्तलाका पुत्र बताया गया था। इन्हीं भरतके वंशमें कुरु हुए जिनकी सन्तानोंमें आपसी झगड़े के कारण कभी घोर युद्ध हुआ था। भारतवर्ष के पुराने और नये साहित्यमैं इस युद्धका इतना अधिक उल्लेख है कि उसकी चर्चा करना भी अनावश्यक जान पड़ता है। प्रधानतः महाभारत इन्हीं कुरुवंशियोंके युद्धकी कहानी है। किन्तु महाभारत केवल इस युद्धकी ही कहानी नहीं है। इस महाग्रन्थका