पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/१८५

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१६६ हिन्दी साहित्यकी भूमिका । गया। इस मतके आचार्योंने पालीमें न लिखकर संस्कृतमें ग्रंथ लिख जो बहत कुछ पाली ग्रन्थोंके अनुवादमात्र थे पर एक अंश तक मौलिक भी थे। अश्वघोषन बुद्धचरित नामक एक कान्य लिखा जिसे यूरोपियन पण्डित बहुत पसन्द करते । इन्होंने कुछ नाटक और अन्य काम्य भी लिखे जो बड़े ही उत्तम उत्तरे । इन बौद्ध आचार्योंने संस्कृतमें और भी बहुत-से अन्थ लिखे। खासकर इनके दर्शन और तकशास्त्र के ग्रन्थ बहुत उच्च कोटिके थे। दुर्भाग्यवश बौद्ध धर्मक इस देशसे लोप होनेके साथ ही साथ इन ग्रन्थोंका भी लोप हो गया। अब तक इस मतके जो कुछ ग्रन्थ उपलब्ध हुए हैं वे मध्य एशिया, तिब्बत और नेपालमें पाये गये हैं। तिब्बती, चीनी आदि भाषाओंमें इन अन्थों के अनुवाद विद्यमान हैं। म०म० पंडित विधुशेखर शास्त्रीने इन अनुवादोंके आधारपर कई मूल अन्थोंका उद्धार किया है। इधर शलमें ही सुना है कि महापण्डित राहुल सांकृत्यायनने कई महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ तिब्बतमें पाये हैं। आयुर्वेद और अन्य उपवेद चारों वेदोंके चार उपवेद हैं। इनका नाम है : आयुर्वेद, धनुर्वेद, गान्धर्व- वेद और शिल्पवंद या विश्वकर्म-शास्त्र । चौथा उपवेद किसी किसीके मतसे तंत्र है। इनमें सर्वाधिक उल्खयोग्य आयुर्वेद है। अथर्ववेदमें आयुर्वेदिक ओषधियोंका प्रचुर वर्णन है। आयुर्वेदके आठ अङ्ग हैं-शल्य, शालाक्य, काय-चिकित्सा, भूतविद्या, कौमारभृत्य, अगदतन्त्र, रसायनतन्त्र और बाजीकरण । सन् ईसवीके बहुत पहले इन अङ्गोंपर अनेकों बड़ी बड़ी पोथियाँ लिखी गई थीं। पर दुर्भाग्यवश उनका अब नाम-भर शेष रह गया है। ग्रन्थोंका सार सङ्कलन करके चरक और सुश्रुतने अपनी अपनी प्रख्यात संहिताएँ लिखी जो बादमें चलकर सारे संसारके चिकित्सा-शास्त्रको प्रभावित करने में समर्थ हुइ। बौद्ध त्रिपिटकों के सारे चीनी संस्करणोंसे जाना जाता है कि चरक महाराज कनिष्क (सन् ई की प्रथम शताब्दी) के राजवैद्य थे । सुश्रुतका भी लगभग यही काल होना चाहिए क्योंकि काशगरमें मिले हुए बोअर मैनस्क्रिप्ट्ससे (जो निश्चय ही चौथी शाताब्दीके होने चाहिए) चरक और सुश्रुतके उद्धरण पाये जाते हैं। पुरानी १. Major Surgery. २. Minor Surgery. ३. Demonology. ४. Toxicology. ५. Elixirs. ६. Aphrosidiacs.