पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/१६६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

हिन्दी साहित्यकी भूमिका भूल है कि अनुध्यात मार्ग सदा अनुध्यात मार्ग होता है । कार्यक्षेत्रमें उतरनेपर नाना भाँतिकी वस्तु-स्थिति अनुध्यात मार्ग बदलनेको विवश करती है । इब्जी- नियर गाडीके चक्कों को देखकर गन्तव्यतक पहुचनेका जो हिसाब बताता है वह सड़ककी ऊबड़-खाबड़ विषमताओंके कारण बाधित होता है। भारतवर्ष जिस रास्ते १९२० ई० में जानेकी सोच रहा था उस रास्ते पूर्ण रूपसे नहीं जा सका। भीतरी कमजोरियाँ और बाहरी बाधाएँ कम नहीं थीं। फिर भी इस वर्षका महत्व है और वह यह कि इस बार भारतवर्षने अपनी आँखोसे दुनियाको देखनेका संकल्प किया। यह काल तीन मोटे विभागोंमें बाँट लिया जा सकता है । सन् १९२० से १९३० ई. तकका समय पुराने संस्कारोंके प्रति विद्रोह और नवीन संस्कारों के बीजारोपणका समय है। इस कालमें बहुतसे पुराने कवि और लेखक अपनी लेखनी चला रहे थे, पर उनमें से बहुत थोड़ोंने नेतृत्व किया। जिन पुराने पण्डितों और कवियोंने नेतृत्व किया उनमें युगधर्मको पहचानेकी अपूर्व क्षमता थी। थोडेसे ही नाम ऐसे लिये जा सकते हैं जो १९२० के पहले भी ज्ञात थे और बादमें भी नेतृत्वके उपयुक्त थे। सबमें प्रमुख ये तीन हैं.रामचन्द्र शुक्र, प्रेमचन्द और 'प्रसाद'। बाबू श्यामसुन्दर दासका नाम इस प्रसंगमें जान- बूझकर हम छेड़ रहे हैं। आगे उनकी चर्चा आयेगी। यहाँ उन लोगोंके नाम लिये जा रहे हैं जो उस विशेष प्रवृत्ति के प्रतिनिधि थे, जो हमारी आलोच्य है, अर्थात् ये लोक पुराने संस्कारोंके प्रति विद्रोह और नवीन संस्कारोंके बीजा- रोपणमें सक्रिय भाग लेनेवाले थे। इस प्रवृत्तिके और भी कई उन्नायक हुए पर सभी करीब-करीब नये थे। सन् १९२० के पूर्व उनके नाम क्वचित् कदाचित् ही सुनाई पड़े थे। कान्यके क्षेत्रमें सियाराम शरण गुप्त, निराला, पन्त, महादेवी वर्मा ऐसे ही हैं। उपन्यासके क्षेत्रमें जैनेन्द्रकुमार एकमात्र उल्लेख्य जान पड़ते हैं। ऊपर जिन तीन नामोंकी चर्चा आई है उन्हें और दर्जनों नामों से चुन लेनेका कारण बताना आवश्यक है। (१) रामचन्द्र शुक्ल हमारे आलोच्य कालके पहलेसे लिखते आ रहे थे, पर उनकी सर्वोत्तम कृतियाँ इसी कालकी रचना हैं। भारतीय काव्यालोचन शास्त्रका इतना गम्भीर और स्वतंत्र विचारक हिन्दीमें तो दूसरा हुआ ही नहीं, अन्यान्य भारतीय भाषाओंमें भी हुआ है या नहीं, ठीक नहीं कह सकते । शायद नहीं हुआ। अलंकारशास्त्र के प्रत्येक अंगपर उन्होंने सूक्ष्म