पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/११४

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हिन्दी साहित्यकी भूमिका और भी कुछ ऐसी बातें हैं जिनमें सगुण और निर्गुण मतवादी भक्त समान हैं। भक्त अपनी दीनतापर जोर देते हैं, आत्म-समर्पणमें विश्वास रखते हैं और भगवान्की कृपासे ही मुक्ति मिल सकती है, इस बातपर सम्पूर्ण रूपसे विश्वास करते हैं । राम-अवतारके भक्त इस बातृपर अधिक जोर देते हैं। तुलसीदास, सूरदास और दादूदयालमें ये बातें पूर्णताको प्राप्त हुई हैं।