पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/११

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१२ है----प्रतिभा और अंभ्यास-ग्राम-गीतों का महत्त्व-भारतीय साहित्य कहाँ अष्ठ है-उन्नीसवीं शताब्दीके अन्तमें हिन्दी कविकी मनोवृत्ति-नवयुग--अद्भुत प्रगति--साहित्यके बाह्य अन्तर रूपमें परिवर्तन----इस युगकी कमी--जीवित जातिसे सम्पर्क साधनालव्ध दृष्टिका परित्यारा-अति आधुनिक काव्य-प्रवृत्ति---- निर्वैयक्तिक दृष्टिकोण-चार श्रेणीके कवि---कविताकी भाषा और शैलीमें परिवर्तन----कवि और पाठकके बीच में व्यवधानका कारणवैयक्तिकता और भावुकताका ह्रास---भविष्यकी ओर संकेत । १९२० कः युगान्तरकारी वर्ध----आर्य समाजका प्रभाव-- - वाक्योंकी प्रमाणता-पुराने के प्रति मोह और नवीनके प्रति आकर्षण ----द्विवेदी, हरि औध और गुप्त--स्वतंत्र अद्भावना शक्ति---पुराने संस्कारों के प्रति विद्रोह-आलोचक-शुरूजी-प्रेमचन्दको उदयप्रसाद और पन्त-अन्य कवि----मानवताके प्रति सहानुभूति-प्रसिद्ध पत्रकार -नये नाटककार—द्वितीय महायुद्धके बादकी प्रवृत्तियाँ–ग्रन्थसम्पदन, संशोधन और संचय----इतिहासके क्षेत्रमें ओझाजी,-दर्शनविज्ञान-साहित्य-आशाजनक भविष्य पृष्ठ १२६-१५३ परििशष्ट । संस्कृत साहित्यको संक्षिप्त परिचय संस्कृत में लिखे हुए ग्रन्थ-इन ग्रंथोंका वर्गीकरण----ये काहेपर लिखे गये हैं----वैदिक साहित्य–वेदाङ्ग साहित्य--पुराण-इतिहास---धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कानशास्त्र-दर्शन-बौद्ध साहित्य-आयुर्वेद और अन्य उपवेद---अलंकृत काव्य, गद्य, नाटक, और कहानियाँनाटक और कान्यके विवेचनात्मक ग्रंथ---संकीर्ण काव्यधर्म और दर्शनपर टीझायें-निबंध-तंत्रग्रंथ, भक्तिसहित्य--- पत्थर और ताम्रपत्रोंका साहित्य--फुटकर विषय--अन्तिम बात पृष्ठ १५५-१७२