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भाग पृष्ठ २८९; कलकत्ता संस्करण प्रथम भाग पृष्ठ ३०८) यह कुशल कवि थे और इन्होंने गीत गोविंद की टीका लिखी थी । कहा जाता है कि काव्य की शिक्षा प्रारम्म में इन्हें इनकी पत्नी, प्रसिद्ध मीराबाई ( संख्या २० ) से मिली । टिक---कुंभकरण जिन्हें राना कुंभा भी कहा जाता है, न तो मीरा के पति थे और न उसके समकालीन ही। कुंभा मीरा के पर्याप्त पहले हुए हैं। इनके संबंध में सारी सूचना टाड़ के आधार पर दी गई है और अशुद्व है । राना कुम्भा के कवि होने की बात भी सत्य नहीं प्रतीत होती। -सर्वेक्षण १३१ २२. नानक-पंजाब के अंतर्गत तिलवड़ी के बेदी खत्री ( देखिए, विलसन एसेज, भाग २, पृष्ठ १२३)। जन्म १४९९ ई० मृत्यु १५३९ ई० 1 राग कल्पद्रुम । नासक पंथी संप्रदाय के प्रसिद्ध प्रवर्तक, 'ग्रंथ ( राग कल्पद्रुम) के एक अंश के रचयिता ( देखिए संख्या १६९)। 'ग्रंथ' ( देखिए विलसन) में, शिवसिंह के अनुसार (१) नानक, (२) अंगद, (३) अमरदास, (४) रामदास, (५) हरीरामदास, (६) तेग बहादुर, (७) गोविंद सिंह, (८) कबीरदास, (९) त्रिलोचनदास, (१०) धना भगत, (११) रामदास, (१२) सेन, (१३) शेख फरीद, (१४) मीराबाई, (१५) नामदेव (गग कल्पद्रुम), और (१६) बलिभद्र की रचनाएँ है। (एक भिन्न सूची के लिए देखिए विलसन कृत रेलिजस सेक्ट्स आफ द हिन्दूज' भाग १, पृ० २७४) इन नामों में से प्रथम सात नाम सिक्खों के १० गुरुओं में से सात के हैं। शेष तीन गुरु हैं, (८) हरिगोविंद, (९) हरिराम, (१०) हरिकिसुन | नानक की सर्वप्रियता का अनुमान इसी से किया जा सकता है कि मैंने मध्य मिथिला में नानक के कहे जाने वाले अलिखित गीतों का संग्रह किया है। (गासो द तासी, भाग १, पृष्ठ ३८५ भी देखिए )। अध्याय २ का परिशिष्ट २३. चरणदास-पंडितपुर जिला फैजाबाद . के ब्राह्मण । १४८० ई० ... में उत्पन्न । राग कल्पद्रुम ! ज्ञान स्वरोदय नामक ग्रंथ के रचयिता । टिo-ज्ञान स्वरोदय के रचयिता चरणदास न तो पण्डितपुर जिला फैजाबाद के ब्राह्मण थे और न १४८० ई० में उत्पन्न हुए थे। ग्रियर्सन ने यह विवरण सरोज से एवं सरोजकार ने महेशदत्त के भाषा काव्य संग्रह से लिया है। चरणदास अलवर राज्य के अंतर्गत दहरा नाम के गाँव में मुरली नामक इसर बनिए के घर भाद्रपद शुक्ल ३, मंगलवार, संवत् १७६० को उत्पन्न हुए थे। इनकी मृत्यु सं० १८३९ में अगहन सुदी . ४ को दिल्ली में