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भूमिका

अ. सूचना-सूत्र

बाजार में अगणित ग्रंथों को खरीदकर जो टिप्पणियाँ मैंने एकत्र की थीं, प्रचुर मात्रा में यह ग्रन्थ उन्हीं टिप्पणियों पर आधृत है। ये प्रायः पूर्णतया देशी-सूत्रों से ही संकलित हैं। विलसन कृत 'रेलिजस सेक्टस आफ़ द हिंदूज़' और गार्सा द तासी की विभिन्न कृतियाँ, मुख्यतया 'हिन्दुई और हिन्दुस्तानी साहित्य का इतिहास' ( स्व-संकलित टिप्पणियों की ) जाँच के लिए प्रायः देखे गए हैं और जब मेरे द्वारा संकलित सूचना उनकी सूचना से भिन्न हुई है, तब मैंने ठीक तथ्य को निश्चय करने के लिए कोई भी श्रम बाकी नहीं उठा रखा है। एक मात्र अँगरेजी ग्रन्थ जिसको मैंने प्रमाण माना है, टाड का राजस्थान है, जिसमें राजपूताना के चारणों के सम्बन्ध में ऐसी सामग्री सुलभ है, जो साधारणतया अन्यत्र सहज ही प्राप्त नहीं। जहाँ तक सम्भव हुआ है, मैंने पूर्ण प्रामाणिक देशी सूत्रों की सहायता से टाड की भी जाँच कर ली है। इस सम्बन्ध में मुझे उदयपुर के पण्डित मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या को, अत्यन्त उदारतापूर्वक दी हुई अधिकांश सहायता के लिए, धन्यवाद देना है।

एक देशी ग्रन्थ जिस पर मैं अधिकांश में निर्भर रहा हूँ और प्रायः सभी छोटे कवियों और अनेक अधिक प्रसिद्ध कवियों के भी सम्बन्ध में प्राप्त सूचनाओं के लिए जिसका मैं ऋणी हूँ, शिवसिंह सेंगर द्वारा विरचित और मुंशी नवलकिशोर लखनऊ द्वारा प्रकाशित ( द्वितीय संस्करण १८८३ ई॰ ) अत्यन्त लाभदायक 'शिवसिंह सरोज' है। यह पूर्व रचित अनेक संग्रहों के आधार पर संकलित एक काव्य संग्रह है। निम्नांकित में से अधिकांश सरोज के आधार रहे हैं। सरोज के अतिरिक्त मैंने स्वयं भी उन सभी उपलब्ध काव्य संग्रहों का सदुपयोग किया है, जिन्हें मैं एकत्र कर सका हूँ। इनमें से अनेक संग्रह, ऐसे भी हैं, जिसकी सहायता पहले ही सरोज में ली जा चुकी हैं। जब किन्हीं कवियों की रचनाएँ इनमें से एक अथवा अनेक मुख्य संग्रहों में उपलब्ध हुई हैं, मैंने उक्त संग्रह या संग्रहों का संक्षिप्त नाम, कवि के नाम के आगे, लेख के ठीक प्रारम्भ में ही देकर इस तथ्य की ओर संकेत कर दिया है। सामान्य संग्रहों और एक या दो ऐसे अन्य संग्रहों के सम्बन्ध में मैंने प्रायः सर्वत्र ऐसा नहीं किया है, जो उस समय पर हाथ लगे, जब कि ग्रंथ मुद्रणांतर्गत था।

विभिन्न ग्रंथकारों की तिथियों के सम्बन्ध में मैंने यथासम्भव स्वयं जाँच