पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/३४४

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( ३२५) . टिo-वृहत्कवि-वल्लभ का रचना काल सं० १८३९ है। इसका उल्लेख पीछे ७६१ संख्या पर हरि कवि नाम से हो चुका है। --सर्वेक्षण ९९५ ९४०. हरजीवन कवि . टि.---१९३८ के आस पास उपस्थित गुजराती कवि।। -सर्वेक्षण ९८५ ९४१. हरदयाल कवि-शृङ्गारी कवि ९४२. हरिचंद कवि-बन के अंतर्गत बरसाना के निवासी । 'छंद स्वरूपिणी .. . . पिंगल ग्रंथ के रचयिता। ९४३. हरिदेव कवि-ब्रज के अन्तर्गत वृन्दावन के बनिया। छंद पयोनिधि नामक पिंगल ग्रंथ के रचयिता। टि०-इनका रचना काल सं० १८९२-१९१४ है। -सर्वेक्षण ९६३ ९४४. हरि वल्लभ कवि-शांत रस के कवि। टि०-हरिवल्लभ जी ने सं० १७०१ माघ ११ को श्रीमद्भगवद्गीता की टीका प्रस्तुत की थी। -सर्वेक्षण ९७२ ९४५. हरिभानु कवि-नरिन्द्र भूखन नामक भाषा साहित्य के एक ग्रंथ के __रचयिता। ९४६. हरिलाल कवि-शृङ्गार संग्रह में भी। यह संभवतः शिव सिंह द्वारा बिना तिथि दिए श्रृंगारी कवि के रूप में स्वीकृत दूसरे हरिलाल कवि ... भी हैं। ९४७. हितनन्द कवि-सम्भवतः वही, जिनका उल्लेख रागकल्पद्रुम की __ भूमिका में हितानन्द नाम से हुआ है। ९४८. हीरालाल कवि-शृङ्गारी कवि । टि-इन्होंने सं० १८३९ में राधाशतक नाम ग्रन्थ रचा। सर्वेक्षण ९९३ ९४९. हुलासराम कवि--सालिहोत्र ( रागकल्पद्रुम) नाम पशु चिकित्सा सम्बन्धी ग्रंथ के लेखक । सम्भवतः यह हुलास नाम शृङ्गारी कवि के रूप में शिवसिंह द्वारा उल्लिखित कवि भी हैं। टि-सरोज के दूसरे हुलास (सर्वेक्षण ९९४) अस्तित्व होन कवि हैं । ९५०. हेम कवि-~ङ्गार संग्रह में भी । शृङ्गारी कवि )