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( ३२४) ९३२. सिवराज-जयपुर के । (१) शृङ्गार संग्रह में भी। एक लेखक जिनके सम्बन्ध में गार्थी द तासी (भाग १, पृष्ठ ४७६) यह लिखता है.-"रतनमाला नामक ग्रन्थ के लिए, जिसको वार्ड ने अपने 'हिस्ट्री आफ़ द हिंडून भाग २, पृष्ठ ४८१ पर उद्धृत किया है, हम इनके ऋणी हैं। मैं नहीं जानता कि यह वही ग्रन्थ है अथवा नहीं, जिसका उपयोग विलसन ने अपने कोश में किया है। यह कोश वानस्पतिक और खनिन्न औषधियों की संस्कृत हिंदी नाम सूची है। वार्ड द्वारा उल्लिखित एक अत्य ग्रन्थ शिवसागर के लिए भी हम इनके ऋणी हैं ।' रचयिता का उल्लेख शिव सिंह सरोज में भी हुआ है। टि-सरोज में इस विवरण के किसी कधि का उल्लेख नहीं। सरोज (सर्वेक्षण ८५१ ) में एक शिवराज हैं, जिन्हें 'सामान्य कवि' कहा गया है और कोई विवरण नहीं दिया गया है। ९३३. सुजान कवि-शृङ्गारी कवि। .. टि-घनानंद-प्रिया सुजान राय । सं० १८०. के आसपास उपस्मित । -सर्वेक्षण ९११ ९३४. सुन्दर कवि---असनी जिला फतेहपुर के भाट और कवि । रस प्रबोध नामक ग्रन्थ के रचयिता। ९३५. सुलतान कवि-शृङ्गारी कवि । ९३६. सोभ कवि-शृंगारी कवि । - टि-इस कवि का भस्तित्व नहीं सिद्ध होता। - -सर्वेक्षण ८९. ९३७. सोमनाथ कवि टिo-~यह प्रसिद्ध सोमनाथ चतुर्वेदी ही है। इनका रचनाकार सं० १७९४-१८१२ है। इन्हीं का उल्लेख पीछे ससिनाथ (सं० ९३५) नाम से भी हुआ है। 'म' का 'भ' हो जाने से इस कवि की सृष्टि हो गई है। ... -सर्वेक्षण ८९८ ९३८, हनुमन्त कवि-गजा भानुप्रताप के दरबारी कवि । टिक-भानुप्रताप बिजावर के राजा (शासन काल १९०४-५६) थे। यही हनुमंत का भी समय है। -~-सर्वेक्षण ९०६ ९३९. हरचरनदास कवि-वृहत्कवि-वल्लम नामक भाषा साहित्य के एक ग्रंथ के रचयिता ।